

सोनिया नारंग (Sonia Narang IPS) भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की जांबाज़ और ईमानदार (Honesty) अधिकारी हैं, जिन्हें हाल ही में कर्नाटक CID (अपराधिक जाँच विभाग) में DIG (Deputy Inspector General) के पद पर पदोन्नति मिली है। अपने सख़्त नियमों, पारदर्शी कामकाज और "कानून सबके लिए समान है" वाले सिद्धांत पर चलने के लिए जानी जाने वाली सोनिया नारंग ने अपने 20 साल के पुलिस करियर में कई मिसालें कायम की हैं। तो आइए, जानते हैं उनके जीवन और करियर से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें, जो उन्हें देश की सबसे चर्चित महिला IPS अधिकारियों में से एक बनाती हैं।
सोनिया नारंग (Sonia Narang IPS) का जन्म और पालन-पोषण चंडीगढ़ में हुआ था। वह बचपन से ही पुलिस अधिकारी बनना चाहती थीं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि, "मैंने कभी किसी और करियर के बारे में नहीं सोचा। हाई स्कूल से ही सिविल सर्विस मेरा लक्ष्य था। मैं प्रतियोगी परीक्षाओं पर आधारित पत्रिकाएँ पढ़ती रहती थी और तैयारी में जुटी रहती थी।"उन्होंने 1999 में पंजाब विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र (Sociology) में स्नातक की डिग्री हासिल की और गोल्ड मेडल जीता।
उनकी शैक्षणिक योग्यता और अनुशासन ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत नींव दी। सोनिया के पिता ए. एन. नारंग पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के पद से सेवामुक्त हुए हैं और वही उनके आदर्श भी हैं। सोनिया कहती हैं, "पापा को वर्दी में देखकर मैंने सीखा कि सम्मान कमाया जाता है, मांगा नहीं जाता। उसी वर्दी का गर्व मुझे इस सेवा में लाया।" उन्होंने 2004 में एक प्रोबेशनर अधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उनकी पहली पोस्टिंग कर्नाटक के गुलबर्गा जिले में हुई थी, जहाँ उन्होंने आपराधिक गतिविधियों से प्रभावित चुनावों का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया।
आपको बता दें, 2006 में दावणगेरे जिले में बतौर पुलिस अधीक्षक (SP) सोनिया नारंग सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने हिंसक प्रदर्शन के दौरान भाजपा विधायक रेणुकाचार्य को थप्पड़ मार दिया। दरअसल, शहर में कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हो रही थीं और स्थिति बिगड़ने लगी। स्थिति बिगड़ने पर उन्होंने लाठीचार्ज का आदेश दिया, लेकिन विधायक ने हटने से इंकार कर दिया। इसके बाद सोनिया ने कानून के सम्मान के लिए कार्रवाई शुरू कर दी और यह साहसी कदम जनता के बीच "दबंग महिला IPS" के रूप में उनकी पहचान बना गया। बाद में सोनिया बेलगाम जिले की पहली महिला पुलिस अधीक्षक बनीं। आपको बता दें कि यह इलाका सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माना जाता था, लेकिन उन्होंने दिन-रात काम करके असामाजिक तत्वों पर काबू पाया और शांति कायम रखी।
सोनिया नारंग (Sonia Narang IPS) ने कर्नाटक के इतिहास में बेंगलुरु (दक्षिण) की दूसरी महिला DCP बनने का गौरव हासिल किया। उनका कहना है कि, "ईमानदारी (Honesty) और साहस शासन के सबसे बड़े हथियार हैं। अगर ये दो चीज़ें आपके पास हैं, तो कोई भी सत्ता या ताक़त आपको झुका नहीं सकती।" 2013 में उस समय के मुख्यमंत्री के. सिद्धारमैया ने विधानसभा में उन पर 16,000 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। लेकिन सोनिया ने पूरे आत्मविश्वास से मीडिया में बयान दिया और कहा, "मैंने कभी किसी खनन क्षेत्र में काम नहीं किया और न ही मैंने किसी अवैध खनन को बढ़ावा दिया।" उन्होंने यह भी कहा कि, "मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और निराधार हैं।" उनकी इस स्पष्ट प्रतिक्रिया से मुख्यमंत्री को भी शर्मिंदगी झेलनी पड़ी।
सोनिया नारंग उन अधिकारियों में शामिल थीं जिन्होंने कर्नाटक लोकायुक्त कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार और वसूली रैकेट का खुलासा किया था। इस खुलासे के बाद न्यायमूर्ति वाई. भास्कर राव को लोकायुक्त पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनके बेटे वाई. अश्विन को गिरफ्तार किया गया। आपको बता दें, यह मामला राज्य में पुलिस की ईमानदारी और सिस्टम की सफाई का प्रतीक बन गया। सोनिया नारंग के पति गणेश कुमार नारंग भी बिहार कैडर के IPS अधिकारी हैं। सोनिया नारंग और पति गणेश कुमार नारंग का एक बेटा है। ये अपने निजी जीवन में भी संतुलन बनाए रखती हैं और हमेशा कहती हैं कि, "पुलिस सेवा सिर्फ नौकरी नहीं है, यह समाज के प्रति जिम्मेदारी है।"
निष्कर्ष
सोनिया नारंग (Sonia Narang IPS) का नाम उन महिला अधिकारियों में से एक है जिन्होंने अपनी ईमानदारी (Honesty), दृढ़ता और निडरता (Fearlessness) से पुलिस सेवा में नई मिसालें कायम कीं। वह आज भी हर महिला के लिए एक प्रेरणा हैं। सोनिया नारंग का मानना है कि अगर इरादा सच्चा और हिम्मत मजबूत हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। [Rh/PS]