
कर्नाटक विधानसभा में सबको चौंकाने वाला पल आया। कांग्रेस के बड़े नेता और उपमुख्यमंत्री ने डी. के. शिवकुमार आरएसएस (RSS) गीत गाना शुरू कर दिया।
बीजेपी के विधायक यह सुनकर मुस्कुराए और तालियाँ बजाने लगे। उनके लिए यह जैसे जीत का पल था, क्योंकि आरएसएस उनका वैचारिक घर है। लेकिन कांग्रेस के नेता असहज हो गए। उनके लिए यह शर्मिंदगी की बात थी, क्योंकि कांग्रेस और आरएसएस हमेशा से एक-दूसरे के खिलाफ खड़े रहे हैं।
कुछ ही मिनटों में यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोग बहस करने लगे, क्या शिवकुमार (D.K. Shivakumar) आरएसएस को मानते हैं? क्या वे उनका मज़ाक उड़ा रहे थे? या यह सचमुच एक गलती थी?
जब मामला बड़ा हो गया तो शिवकुमार (D.K. Shivakumar) ने सफाई दी। उन्होंने कहा, “मैं जन्म से कांग्रेसी हूँ, गांधी परिवार का भक्त हूँ। अगर किसी को बुरा लगा तो मैं माफी मांगता हूँ।”
लेकिन उनके माफी माँगने के बाद भी सवाल थमे नहीं।
राजनितिक चाल क्यों हो सकती है
इस घटना का समय बहुत अहम था। ठीक कुछ दिन पहले बैंगलुरु में आर.सी.बी (RCB) टीम के जश्न के दौरान भगदड़ मच गई थी। कई लोग घायल हुए, कुछ ने जान भी गंवाई। इस घटना के लिए विपक्ष ने सीधे डी. के. शिवकुमार (D.K. Shivakumar) को जिम्मेदार ठहराया था।ऐसे में जब उन्होंने विधानसभा में डी. के. शिवकुमार आरएसएस गीत गाया, तो मीडिया और जनता का ध्यान अचानक बदल गया। अब चर्चा भगदड़ से हटकर उनके गीत पर आ गई। अगर यह सोची-समझी चाल थी, तो यह बहुत होशियार कदम था।
घटना के बाद जिस तरह से शिवकुमार (Shivakumar) ने इसे संभाला, वह राजनीति की चालाकी दिखाता है। पहले उन्होंने गीत गाकर हंगामा होने दिया। सोशल मीडिया पर लोग बहस करते रहे, बीजेपी ताली बजाती रही और कांग्रेस असहज होती रही। लेकिन जब आलोचना बढ़ी, तब उन्होंने तुरंत माफी माँग ली और कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी दोहराई। यह तरीका राजनीतिक नाटक जैसा था, पहले झटका दिया, फिर खुद को बचा लिया।
शिवकुमार (Shivakumar) को कर्नाटक की राजनीति में “स्ट्रॉन्गमैन” कहा जाता है। वे महत्वाकांक्षी हैं और हमेशा बड़ी भूमिका की तलाश में रहते हैं। जब उन्होंने डी. के. शिवकुमार आरएसएस गीत गाया, तो यह सिर्फ गीत नहीं था। यह जैसे एक संदेश था, मैं इतना ताकतवर हूँ कि अपने विरोधियों की विचारधारा को भी विधानसभा में गा सकता हूँ और फिर भी सबकी नज़रें मुझ पर ही रहेंगी। ”बीजेपी (BJP) को यह दिखा कि उन्हें उनकी दुनिया की भी जानकारी है। कांग्रेस (Congress) को यह दिखा कि शिवकुमार (Shivakumar) साहसी हैं, कभी भी सुर्खियाँ बना सकते हैं।
यह एक गलती भी हो सकती है
विधानसभा का माहौल कभी-कभी विधानसभा या संसद का माहौल इतना गरम और भावनात्मक हो जाता है कि नेता अचानक कुछ बोल या गा देते हैं। यह भी संभव है कि शिवकुमार (Shivakumar) ने बिना सोचे-समझे डी. के. शिवकुमार आरएसएस गीत गा दिया हो। शायद उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था कि यह इतना बड़ा विवाद बन जाएगा।
उनकी माफी इस बात की तरफ इशारा करती है कि यह योजना नहीं थी। उन्होंने कहा, “अगर किसी को बुरा लगा तो मैं माफी माँगता हूँ। यह भाषा “डैमेज कंट्रोल” (Danage Control) जैसी महसूस हुई, न कि “प्लान किया हुआ बयान” जैसी। अगर यह चाल होती, तो वे इतनी जल्दी पीछे नहीं हटते।
कांग्रेस हमेशा आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ खड़ी रही है। ऐसे में किसी वरिष्ठ कांग्रेस नेता द्वारा आरएसएस गीत गाना पार्टी के लिए खतरे की घंटी था। अगर यह सचमुच उनकी रणनीति होती, तो वे अपनी ही पार्टी के नेताओं को नाराज़ कर सकते थे। और चूँकि शिवकुमार (Shivakumar) खुद भविष्य में मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, कांग्रेस हाईकमान को नाराज़ करना उनके लिए सही कदम नहीं है।
बीच का सच
असलियत शायद इन दोनों कहानियों के बीच है। संभव है कि शिवकुमार (Shivakumar) ने पहले से आरएसएस (RSS) गीत गाने की योजना न बनाई हो। लेकिन जब यह घटना हो गई, तो उन्होंने इसे बहुत चतुराई से अपने फायदे में बदल दिया। अगर यह गलती थी, तो माफी माँगकर उन्होंने नुकसान कम किया। अगर यह चाल थी, तो उन्होंने विरोधियों को अस्थिर कर दिया और मीडिया की चर्चा अपने नाम कर ली। हर हाल में उन्होंने साबित किया कि वे राजनीति में हर स्थिति को अपने पक्ष में बदलने की क्षमता रखते हैं।
निष्कर्ष
डी. के. शिवकुमार आरएसएस गीत विवाद यह दिखाता है कि राजनीति में गलती और रणनीति के बीच की दूरी बहुत कम होती है।
शायद यह भूल थी, शायद चाल। लेकिन दोनों ही हाल में नतीजा एक जैसा रहा, डी. के. शिवकुमार चर्चा के केंद्र में आ गए।
और राजनीति में जीत अक्सर उसी की होती है, जिसके बारे में सबसे ज्यादा लोग बात कर रहे होते हैं। [Rh/Eth/BA]