![Chander Mohan and Anuradha Bali [Sora Ai]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-09-24%2Fjgfjiiql%2Fassetstask01k5y70d4yez9th069dch8vw9k1758729469img0.webp?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
साल 2008 में हरियाणा की राजनीति (Haryana Politics) में अचानक हलचल मच गई। प्रदेश के तत्कालीन डिप्टी सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल (Former Chief Minister Bhajanlal) के बेटे चंदर मोहन (Chander Mohan) अचानक ग़ायब हो गए। सत्ता के गलियारों में अफ़वाहें उड़ने लगीं की आख़िर इतनी बड़ी कुर्सी पर बैठा नेता कहां लापता हो गया? कुछ ही हफ़्तों बाद, चंदर मोहन (Chander Mohan) की वापसी ने पूरे देश को चौंका दिया। वह लौटे तो एक नई पहचान और नई मोहब्बत के साथ। उन्होंने न केवल अपनी पत्नी और परिवार को पीछे छोड़ दिया, बल्कि धर्म परिवर्तन कर अपने रिश्ते को नाम दिया "चांद और फ़िज़ा"। अनुराधा बाली (Anuradha Bali) उर्फ़ फ़िज़ा, जो हरियाणा सरकार की असिस्टेंट एडवोकेट जनरल थीं, अचानक सुर्ख़ियों में छा गईं। राजनीति, प्रेम और धर्म तीनों का संगम इस कहानी को और भी सनसनीख़ेज़ बना रहा था। लेकिन यह मोहब्बत जितनी तेज़ी से परवान चढ़ी थी, उतनी ही जल्दी टूट भी गई। चंदर मोहन और फ़िज़ा की शादी ने जहां समाज और राजनीति में तूफ़ान खड़ा किया, वहीं इसका अंत दुखद और रहस्यमयी रहा। यह कहानी सिर्फ़ प्यार और जुदाई की नहीं, बल्कि सत्ता, पहचान और रिश्तों के टकराव की भी है।
हरियाणा की राजनीति में सनसनी उस वक़्त मची जब 2008 के आख़िरी महीनों में तत्कालीन डिप्टी सीएम चंदर मोहन (Chander Mohan) अचानक ग़ायब हो गए। मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे और राज्य की सियासत में बड़ी पकड़ रखने वाले चंदर मोहन का यूँ बिना बताए ग़ायब हो जाना सबको हैरान कर रहा था। लगातार 40 दिनों तक उनकी कोई ख़बर नहीं मिली, न वे ऑफिस आए और न ही सार्वजनिक मंच पर दिखाई दिए। नतीजा यह हुआ कि सरकार ने उन्हें डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया। लेकिन असली झटका तब लगा जब उनकी ड्रामेटिक वापसी हुई। वे लौटे तो पूरी तरह बदले हुए अंदाज़ में। अब वे चंदर मोहन नहीं बल्कि "चांद मोहम्मद" ("Chand Mohammad") बन चुके थे। उनके साथ थीं उनकी प्रेमिका और हरियाणा सरकार की असिस्टेंट एडवोकेट जनरल अनुराधा बाली, जिन्होंने इस्लाम अपनाकर अपना नाम "फ़िज़ा" रख लिया था। दोनों ने इस्लाम कबूल करने के बाद निकाह किया और एक नई शुरुआत का ऐलान कर दिया। उनकी वापसी ने न केवल परिवार बल्कि पूरी राजनीति में भूचाल ला दिया। एक डिप्टी सीएम का अचानक धर्म बदलकर शादी करना उस दौर की सबसे बड़ी पॉलिटिकल-लव स्टोरी बन गया, जिस पर मीडिया लगातार नज़र गड़ाए हुए था।
जब चांद और फिज़ा (Chaand aur Fiza) वापस लौटे तो उनकी प्रेम की मिसाल बन रही थी कि प्यार के खातिर दोनों ने धर्म बदल लिया और अपने प्यार को एक नया रूप दिया लेकिन चंदर मोहन और अनुराधा बाली (फ़िज़ा) की प्रेम कहानी शुरुआत में जितनी रोमांटिक लग रही थी, उतनी ही तूफानी बनी। मीडिया के कैमरों से हाथ थामे दोनों ने खुलेआम प्यार का इज़हार किया और बताया कि उन्होंने इस्लाम कबूल कर नक़ाह किया है। उनका ये नया जीवन लोगों की ज़ुबानों पर था लेकिन ये रास नहीं चला। एक दिन अचानक चांद अपनी फिज़ा को छोड़ कर कही गायब हो गए और फिर शुरू हुआ इस मोहब्बत का दूसरा अध्याय शुरू। शादी के महज 40 दिनों के भीतर ही रिश्ते में दरार दिखने लगी। चंदर मोहन ने जनवरी 2009 में इस विवाह को रद्द (annulment) घोषित कर दिया और वापस अपने पुराने परिवार की ओर लौट गए।
फ़िज़ा ने इसके बाद आरोपों की बौछार की उन्होंने चंदर पर धोखा, दुराचार, धमकी, धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसे गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि चंदर ने तीन ‘तलाक’ फोन और SMS से कहे, और उनसे संपर्क तोड़ लिया। वे एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रोते-बिलखते कहें कि चांद ने उन्हें धोखा दिया है, और कहा कि अगर उन्होंने शादी ना की तो वह जान दे देंगे यानी बलपूर्वक विवाहित करना चाहा। समय के साथ, फ़िज़ा और मीडिया में जुड़ी कहानी और अधिक जटिल हुई। उन्होंने सार्वजनिक रूप से बताया कि उनका जीवन खतरे में है, और उनका नाम राजनीतिक षड्यंत्रों में फँसा हुआ है। इस प्रकार, चांद-फ़िज़ा की जो मोहब्बत शुरुआत में सपनों जैसी लग रही थी, वह 40 दिन की शादी, आरोपों और सार्वजनिक विवाद में बदल गई और अंततः दोनों का रुख बदल गया, रिश्ता टूट गया।
चांद और फ़िज़ा का रिश्ता पहले ही टूटन की ओर बढ़ रहा था, तभी हालात और नाटकीय हो गए। निकाह के कुछ ही महीनों बाद जब चांद मोहम्मद (चंदर मोहन) दूसरी बार घर से ग़ायब हो गए, तो फ़िज़ा के सब्र का बाँध टूट गया। उन्होंने खुलकर मीडिया के सामने आकर चांद और उनके परिवार पर कई गंभीर आरोप लगाए। फ़िज़ा का कहना था कि चांद पर उनके परिजनों और राजनीतिक दबाव का असर है, जिसकी वजह से वे उन्हें छोड़कर बार-बार भाग रहे हैं। उन्होंने यहाँ तक कहा कि उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं और उनकी जान को ख़तरा है।
लेकिन कुछ समय बाद चांद लौटे और उनका बयान सबको चौंका गया। उन्होंने कहा कि फ़िज़ा उनके लिए “पिछली ज़िंदगी की भूल” थीं और उनका रिश्ता आगे नहीं चल सकता। चांद का कहना था कि उन्होंने मजबूरी में यह शादी की थी, और अब वे अपने परिवार व बच्चों के पास लौटना चाहते हैं। इस तरह चांद-फ़िज़ा की मोहब्बत, जिसने शुरुआत में पूरे देश में सनसनी मचाई थी, धीरे-धीरे आरोपों, दबावों और सामाजिक अस्वीकृति के बीच टूटकर बिखर गई। उनका अलगाव यह साबित करता है कि जब रिश्ते राजनीति, समाज और परिवार के बोझ तले दबते हैं तो मोहब्बत भी टिक नहीं पाती।
चांद से जुदाई के बाद फ़िज़ा यानी अनुराधा बाली का जीवन गहरे अकेलेपन में डूब गया। मीडिया की सुर्खियों में छाने वाली यह महिला धीरे-धीरे हाशिये पर चली गईं। राजनीति और समाज में जहाँ कभी उनकी पहचान "चांद-फ़िज़ा" के रूप में होती थी, वहीं अब लोग उनसे दूरी बनाने लगे। फ़िज़ा ने कई बार सार्वजनिक रूप से अपने दर्द को ज़ाहिर किया और कहा कि उन्हें धोखा दिया गया है। समय बीतता गया, लेकिन उनका अकेलापन बढ़ता ही गया। 2012 में मोहाली स्थित उनके घर से उनकी संदिग्ध हालत में मौत की खबर आई। वे अपने घर में अकेली पड़ी मिलीं और उनके निधन ने एक बार फिर सनसनी फैला दी। इस मौत को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गईं, लेकिन सच्चाई आज भी रहस्य के पर्दे में छुपी है। फ़िज़ा का यह दुखद अंत उनकी अधूरी मोहब्बत और टूटी हुई ज़िंदगी की दर्दनाक दास्तान बन गया।
चांद मोहम्मद से अलगाव के बाद भी फ़िज़ा यानी अनुराधा बाली का जीवन सुर्खियों में बना रहा। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वे हमेशा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती थीं। जब 2012 में उनकी संदिग्ध मौत के बाद पुलिस उनके मोहाली वाले घर पहुँची, तो जाँच के दौरान कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए। पुलिस को उनके मोबाइल और कंप्यूटर से कई चैटिंग रिकॉर्ड मिले, जिनमें अलग-अलग लोगों के साथ प्यार-भरी बातें लिखी थीं। इन मैसेजों से अंदाज़ा हुआ कि चांद से जुदाई के बाद भी फ़िज़ा के जीवन में कुछ और लोग आए थे, जिनसे उनका नज़दीकी रिश्ता था। हालांकि, इनमें से किसी रिश्ते ने कभी सार्वजनिक रूप नहीं लिया। इन खुलासों ने फ़िज़ा की ज़िंदगी को और रहस्यमयी बना दिया। लोग आज भी यह सवाल करते हैं कि क्या वे सच्चे प्यार की तलाश में बार-बार भटकती रहीं या यह सब उनकी अकेलेपन की मजबूरी थी।
चंदर मोहन, जो कभी “चांद मोहम्मद” के नाम से जाने जाते थे, आज फिर से चंदर मोहन नाम से जाने जाते हैं। उनका विवाह फ़िज़ा (अनुराधा बाली) से विवादों के बीच हुआ, धर्म परिवर्तन किया गया, लेकिन बहुत जल्दी ही यह अध्याय बंद हो गया। दिसंबर 2008 में उप मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने और सालों विवादों के बाद, चंदर ने हिंदू धर्म को दोबारा अपनाया और बिष्णोई संप्रदाय से जुड़ गए। उन्होंने “पवित्रता समारोह” (purification ceremony) कर कर चांद के उस अध्याय से वापसी की जिसमें उन्होंने इस्लाम कबूला था, तथा परिवार और पारिवारिक पहचान में लौटे। राजनीतिक रूप से भी चंदर आज सक्रिय हैं वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं और 2024 में पंचकुला विधानसभा के चुनाव में जीते हैं। [RH/SP]