Rajiv Gandhi : आज के दिन ही यानी 21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी की हत्या के उपरांत दो दिनों की जांच के बाद पता चला कि हत्या एक महिला ने की, जो मानव बम बनकर वहां आई थी। वहीं जब राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी तभी उसने अपनी कमर में लगा हुआ बम का ट्रिगर दबाया और पल भर में राजीव गांधी और उस हत्यारिन समेत 18 लोगों की पलक झपकते विस्फोट से मौत हो गई। आइए जानते हैं कि कैसे जांच टीम इस नतीजे पर पहुंची कि ये हत्या एक गहन साजिश थी और इसे मानव बम बनी महिला ने अंजाम दिया था।
जांच में पता नहीं लग पा रहा था कि बम कहां लगा हुआ था, इसके बाद चंद्रशेखर ने बम विस्फोट में मारे गए 16 शवों का परीक्षण किया। इनमें एक शव राजीव गांधी का भी था। लेकिन इन शवों में से एक शव ऐसा भी था जिसमें अवशेष ही बचे थे। इसकी त्वचा नाजुक थी और त्वचा के सारे बाल उड़ गए थे, जिससे पता लगा कि बम का सबसे ज्यादा असर एक महिला पर और उनके सामने खड़े राजीव गांधी पर ही हुआ था। महिला के शव का सिर्फ लेफ़्ट बाजू और कमर के नीचे का कुछ हिस्सा ही बचा था। पूरा दाहिना हाथ और पेट का हिस्सा गायब था। इससे सामने आया कि हत्या मानव बम से हुई और ये एक महिला थी।
राजीव गांधी हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी। लेकिन मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया था। बचे हुए सात में से चार अभियुक्तों नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन को मृत्युदंड सुनाया गया और बाक़ी रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्र कैद की सज़ा मिली।
इन चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सज़ा तो उम्र कैद में तब्दील कर दी और बाकी बचे अभियुक्तों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी। इस साल अप्रैल में इन सभी की सजा पूरी हो गई और इन्हें रिहा कर दिया गया। अब राजीव गांधी की हत्या में कोई जेल में नहीं है। अंतिम तीन दोषियों मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस को तीन दशकों तक जेल की सजा काटने के बाद उच्चतम न्यायालय ने करीब दो वर्ष पहले ही उन्हें रिहा कर दिया और ये सभी श्रीलंका भेज दिए गए।