

दिलचस्प यह है कि जब बिहार में राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई तो अधिकतर क्षेत्रों में कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन डेहरी की जनता ने समाजवादी उम्मीदवारों को अपना प्रतिनिधि बनाया। कांग्रेस को तीसरे चुनाव (1962) में पहली जीत मिली थी।
हालांकि, इसके बाद पार्टी ने लगातार 4 बार जीत हासिल की। कांग्रेस को आखिरी बार 1985 में जीत मिली थी। इसके बाद यहां जनता दल, राजद और भाजपा की लड़ाई रही, हालांकि अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनाव में डेहरी ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुना।
2019 के उपचुनाव में यहां भाजपा की पहली बार एंट्री हुई थी। वहीं जदयू को इस सीट पर अभी तक जीत नहीं मिली है। डेहरी में 2020 का विधानसभा चुनाव राजद ने जीता।
इस बार डेहरी (Dehri) में 10 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर है। राजद ने गुड्डू चंद्रवंशी को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि एनडीए में सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) (रामविलास) ने राजीव रंजन सिंह (Rajeev Ranjan Singh) को टिकट दिया है। जन सुराज पार्टी से प्रदीप लल्लन मैदान में हैं।
इस विधानसभा क्षेत्र में 9 ग्राम पंचायत शामिल हैं, जिनमें बरांव कला, बेरकप, भैंसहा, भलुआरी, चकनहा, दाहौर, दरिहट, गंगौली, जमुहार, मझियावां, मथुरी, पहलेजा और पतपुरा हैं।
डेहरी विधानसभा में आर्कषण का केंद्र यहां स्थापित धूप घड़ी है। अंग्रेजों ने इस घड़ी को बनाया और 1871 में डेहरी के एनिकट रोड पर स्थापित किया।
यह एकमात्र घड़ी है, जो सूरज की रोशनी से समय दिखाती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई विभाग के कर्मचारियों की तरफ से किया जाता था। यह घड़ी एक पत्थर के प्लेटफॉर्म पर लगाई गई है। इस घड़ी में हिंदी और रोमन अंक हैं।
इसके अलावा डेहरी-ऑन-सोन शहर के सबसे आकर्षक एवं पर्यटन क्षेत्र में अपने विशेष स्थान के लिए प्रसिद्ध इंद्रपुरी डैम भी प्रसिद्ध है। शानदार नजारा देखने के लिए शहर और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के अलावा दूसरे प्रदेश से भी लोगों का आवागमन चलता रहता है।
डेहरी-ऑन-सोन के प्रमुख स्थलों में सोन नहर प्रणाली का केंद्र भी शामिल है। इसके अलावा, एक समय में यहां नेहरू सेतु रेलवे पुल भी डेहरी की शोभा बढ़ाता था। इसके अलावा प्राचीन रोहतासगढ़ किला और अकबरपुर भी यहां से कुछ दूरी पर स्थित हैं, जो ऐतिहासिक महत्व के हैं।
धार्मिक रूप से भी डेहरी समृद्ध है। यहां झारखंडी महादेव मंदिर स्थानीय लोगों के बीच आस्था का केंद्र है, जहां लगातार श्रद्धालुओं की भीड़ आती है।
[AK]