बिहार का गांधी किसे कहा जाता है? रह चुके हैं भारत के राष्ट्रपति!

जानिए कौन है बिहार का गांधी जिसने भारत के राष्ट्रपति पद पर दर्ज किया अपना नाम!
डॉ राजेंद्र प्रसाद
बिहार का गांधी डॉ राजेंद्र प्रसाद ( Dr. Rajendra Parsad) को कहा जाता है।WiKimedia commons
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Summary

सार

  1. बिहार का गांधी डॉ राजेंद्र प्रसाद ( Dr. Rajendra Parsad) को कहा जाता है।

  2. चंपारण आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी से हुई मुलाकात।

  3. नमक सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन में भाग लिया।

  4. 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े।

  5. 1946 में संविधान सभा का अध्यक्ष चुने गए।

  6. 26 जनवरी 1950 को भारत का स्वतंत्र संविधान बनने की घोषणा के साथ ही डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति घोषित किया गया।

  7. सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भारत रत्न से बिहार के गांधी डॉ राजेंद्र प्रसाद को नवाज़ा गया।

शांति, सादगी और चतुराई की मिसाल थे बिहार के गांधी!

डॉ राजेंद्र प्रसाद को बिहार का गांधी ( Bihar Ka Gandhi) कहा जाता है। डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई क्षेत्र में हुआ था। डॉ राजेंद्र प्रसाद का राजनीतिक काल प्रेरणादायक और प्रभावशाली रहा है।

शिक्षा की बात की जाए तो डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्ष 1902 में कोलकाता स्थित प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया। 1915 में कोलकाता के विश्वविद्यालय से उन्होंने मास्टर इन लॉ की परीक्षा दी और अच्छे परिणाम से उत्तीर्ण हुए। बेहतरीन परिणाम की बदौलत उन्हें स्वर्ण पदक भी हासिल हुआ।

साल 1916 में प्रसाद जी ने पटना उच्च न्यायालय में अपने कानूनी करियर को शुरु किया। साल 1937 में प्रसाद जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की पढ़ाई उत्तीर्ण की।

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डॉ राजेंद्र प्रसाद और महात्मा गांधी का संबंध

डॉ राजेंद्र प्रसाद की पहली मुलाकात महात्मा गांधी से चंपारण आंदोलन के दौरान हुई थी। दरअसल एक बार स्थानीय किसानों की शिकायत दूर करने के लिए गांधी जी बिहार के चंपारण जिले में तथ्यान्वेषी मिशन के तहत दौरे पर थे। तब गांधी जी ने प्रसाद को स्वयंसेवकों के साथ चंपारण आने के लिए कहा था।

गांधी जी के जाति एवं अस्पृश्यता संबंधी विचारों से डॉ राजेंद्र प्रसाद ( Dr. Rajendra Parsad) काफी प्रभावित हुए थे जिसके बाद उनका जीवन के प्रति नजरिया ही बदल गया। साल 1918 में रोलेट एक्ट और साल 1919 की जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी घटनाओं से प्रसाद गांधी जी के अधिक करीब आए।

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने गांधी जी के असहयोग आंदोलन का बिहार में भी विस्तार किया। 1921 में प्रसाद जी ने अपनी कानूनी प्रेक्टिस को छोड़कर एक नेशनल कॉलेज की स्थापना की। महात्मा गांधी जी ने मार्च 1930 में नमक सत्याग्रह शुरू किया और इस आंदोलन का विस्तार करने हेतु डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बिहार के नखास तालाब में नमक सत्याग्रह को आरंभ किया।

तस्वीर में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और उनके साथ भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नजर आ रहे हैं।
26 जनवरी 1950 को भारत का स्वतंत्र संविधान बनने की घोषणा के साथ ही डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति घोषित किया गया।WiKimedia commons

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ऐसे दाखिल हुए डॉ राजेंद्र

डॉ राजेंद्र प्रसाद कोलकाता में अपनी वार्षिक सत्र के दौरान 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। प्रसाद जी ने अक्टूबर 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बोम्बे अधिवेशन की अध्यक्षता संभाली।

इतना ही नहीं बल्कि वर्ष 1939 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पद से बतौर अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफा देने के पश्चात प्रसाद जी को दूसरी बार अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।

जवाहरलाल नेहरू के अंतिरम सरकार में वर्ष 1946 में खाद्य और कृषि मंत्री के पद पर नियुक्त किए गए तथा देश को “अत्यधिक अन्न उगाओ” का नारा दिया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष से भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने तक का सफर

15 अगस्त 1945 को भारत आजाद होने के बाद सन् 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा के अध्यक्ष के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद ( Dr. Rajendra Parsad) की संविधान सभा समितियों में राष्ट्रीय ध्वज पर तदर्थ समिति, वित्त और कर्मचारी समिति एवं संचालन समिति शामिल थी।

26 जनवरी 1950 को जब भारत के स्वतंत्र संविधान की घोषणा की गई, तब भारत के प्रथम राष्ट्रपति के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद ( India's First Presdient Dr. Rajendra Parsad) को चुना गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सन् 1950-1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति के तौर पर 12 वर्ष तक का कार्यकाल संभाला।

वर्ष 1962 में अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल से प्रसाद जी सेवानिवृत हुए। अपने शानदार राजनीतिक कार्यकाल के तौर पर उन्हें भारत के सबसे सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया। राजनीतिक काल से सेवानिवृत होने के बाद प्रसाद जी ने पटना के सदाकत आश्रम में अंतिम दिनों को बिताया। 28 फरवरी 1963 को बिहार के गांधी और भारत की प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का निधन हो गया।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको बिहार के गांधी और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (India's First Presdient Dr. Rajendra Parsad) से संबंधित जानकारी दी है। ‌इस आर्टिकल में हमने डॉ राजेंद्र प्रसाद के प्रारंभिक जीवन, महात्मा गांधी से मुलाकात, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होना, संविधान सभा का अध्यक्ष और अंत में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के तौर पर नियुक्त होना आदि संबंधित विषयों पर चर्चा की है।

OG/PSA

डॉ राजेंद्र प्रसाद
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