संविधान दिवस 2025: पुरी बीच पर सुदर्शन पटनायक ने 6 टन रेत से बनाया शानदार सैंड आर्ट

पुरी, संविधान दिवस के मौके पर पुरी के मशहूर समुद्र तट पर एक बार फिर बेहद खास नजारा देखने को मिला। दुनिया भर में अपनी अनोखी सैंड आर्ट के लिए मशहूर और पद्म श्री से सम्मानित सुदर्शन पटनायक ने इस बार भी अपनी कला से सबका दिल जीत लिया। बुधवार को उन्होंने पुरी बीच पर एक खूबसूरत और प्रभावशाली सैंड स्कल्पचर बनाया, जिसमें भारतीय संविधान की झलक बेहद शानदार तरीके से दिखाई गई। इस कला पर बड़े अक्षरों में 'हैप्पी कॉन्स्टिट्यूशन डे' लिखा था।
रेत पर 'संविधान दिवस' लिखा हुआ सैंड आर्ट दिखाई दे रहा है|
संविधान दिवस 2025 पर पुरी बीच पर सुदर्शन पटनायक का 6 टन रेत से बना शानदार सैंड आर्ट|IANS
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सुदर्शन पटनायक की इस बार की सैंड आर्ट खास इसलिए भी थी क्योंकि यह लगभग 6 टन रेत से बनाई गई और करीब 6 फीट ऊंची थी। दूर से ही यह एक शानदार स्कल्पचर लग रहा था जो भारत की लोकतांत्रिक भावना की ताकत और खूबसूरती को दर्शाता था। पटनायक का मकसद सिर्फ एक कलात्मक मूर्ति बनाना नहीं था, बल्कि लोगों को यह याद दिलाना था कि हमारा संविधान ही हमारे लोकतंत्र की असली ताकत है और इसे मजबूत रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

इस सैंड स्कल्पचर को बनाने में पटनायक को उनके सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट के छात्रों का भी पूरा साथ मिला। टीम ने मिलकर इसे बहुत कम समय में तैयार किया और बीच पर घूमने आने वाले लोग इसे देखते ही रुक-रुककर तस्वीरें खींचने लगे। कई लोग इंस्टॉलेशन के पास जाकर संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए वीडियो बनाते भी नजर आए।

सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने कहा कि संविधान दिवस के मौके पर हमने 'हैप्पी कॉन्स्टिट्यूशन डे' मैसेज के साथ यह छह फुट ऊंची रेत की मूर्ति बनाई है। आज हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है, क्योंकि यह भारत के संविधान को अपनाने का दिन है। अपनी कला के ज़रिए, मैं इस पवित्र दिन पर सभी को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं।

गौरतलब है कि भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया जाता है। इसी दिन साल 1949 में हमारा संविधान अपनाया गया था। देशभर में इस दिन को बड़े सम्मान के साथ मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में प्रस्तावना पढ़ी जाती है, जागरूकता कार्यक्रम होते हैं और कई तरह की शैक्षिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इन सबका उद्देश्य यही होता है कि लोग हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों (न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व) को समझें और अपनाएं। साथ ही, नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में भी जागरूकता बढ़ाई जाती है।

[AK]

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