RSS की अपील, सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाएं Gyanvapi Mosque Case

Mohan Bhagwat ने कहा, "अगर कुछ लोग सहमत नहीं हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, तो हमें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।"
RSS की अपील, सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाएं Gyanvapi Mosque Case
RSS की अपील, सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाएं Gyanvapi Mosque CaseWikimedia Commons
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को लोगों से चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Mosque Case) को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझाने की अपील करते हुए कहा कि अगर बातचीत से मामला नहीं सुलझा तो दोनों पक्षों को अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। यहां आरएसएस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में भागवत ने कहा कि हर बार विवाद पैदा करना उचित नहीं है, क्योंकि उन्होंने हिंदुओं को अपने मुस्लिम भाइयों के साथ बैठकर सभी विवादों को सुलझाने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, "अगर कुछ लोग सहमत नहीं हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, तो हमें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।"

आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हिंदुओं ने अखंड भारत के विभाजन को स्वीकार कर लिया था, जिसने एक मुस्लिम देश, पाकिस्तान का मार्ग प्रशस्त किया। इसका मतलब है कि भारत में रहने वाले और पाकिस्तान को नहीं चुनने वाले मुसलमान हमारे भाई हैं।"

यह कहते हुए कि संघ केवल राम मंदिर के मुद्दे में शामिल था न कि इस तरह के किसी अन्य आंदोलन में, उन्होंने आरएसएस को विभिन्न आंदोलनों से दूर बताने की भी कोशिश की।

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RSS की किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं केवल धर्म व राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्यरत: भागवत

भागवत ने यह भी कहा कि यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि मुस्लिम शासकों ने हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया और मस्जिदों का निर्माण किया।

अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर, भागवत ने स्वीकार किया कि जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो भारत बहुत कुछ नहीं कर सका, यहां तक कि शक्तिशाली चीन भी इस मुद्दे पर अडिग रहा।

यहां के रेशमबाग में स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर में आयोजित आरएसएस के प्रशिक्षण कार्यक्रम - 'संघ शिक्षा वर्ग - तृतीय वर्ष' में भाग लेने के लिए देश भर से किसानों, शिक्षकों, इंजीनियरों, डॉक्टरों और विभिन्न अन्य क्षेत्रों के लोगों सहित लगभग 735 स्वयंसेवकों को चुना गया था। आयोजन 9 मई को शुरू हुआ था।
(आईएएनएस/PS)

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