
दरअसल जब सीजेआई (CJI) की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के एक मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी तभी वकील भड़क उठा।
बताया जा रहा है कि वकील ने 'सनातन का अपमान नहीं सहेंगे' का नारा भी लगाया। हालांकि, इस दौरान सीजेआई गवई (CJI Gavai) शांत रहे और सुनवाई जारी रखी।
जानकारी सामने आई कि हंगामे के बाद सीजेआई ने कोर्ट में मौजूद वकीलों से कहा, "हम इस तरह की हरकतों से प्रभावित नहीं होते और सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट के काम में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।"
हंगामा (Ruckus) करने वाले वकील को सुप्रीम कोर्ट परिसर में स्थित डीसीपी कार्यालय में ले जाया गया, जहां पूछताछ की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों, सेक्रेटरी जनरल और सिक्योरिटी इंचार्ज से बात की है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की। एसोसिएशन ने कहा, "एक वकील के कृत्य पर हम सर्वसम्मति से पीड़ा व्यक्त करते हैं, जिसने अपने अनुचित और असंयमित व्यवहार से भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद व अधिकार का अनादर करने का प्रयास किया।"
एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि इस तरह का व्यवहार न सिर्फ बार के सदस्य के लिए अस्वीकार्य है, बल्कि यह बेंच और बार के बीच आपसी सम्मान की नींव को कमजोर करता है। एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जनता के विश्वास पर हमला करार दिया।
एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस घटना का स्वतः संज्ञान ले और अवमानना की कार्यवाही शुरू करे, ताकि यह संदेश जाए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ संयम की जिम्मेदारी भी जुड़ी है, खासकर बार के सदस्यों के लिए जो कोर्ट के अधिकारी हैं।
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