तमिलनाडु की बच्ची को मिला No Cast No Religion Certificate

मेरी बेटी के लिए ईश्वर का मतलब प्रेम होगा: Naresh
तमिलनाडु की बच्ची को मिला No Cast No Religion Certificate
तमिलनाडु की बच्ची को मिला No Cast No Religion CertificateWikimedia Commons
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No Cast No Religion Certificate: सभी धर्मों को समान अधिकार देने की बात करने वाले भारतीय संविधान की रचना सभी वर्ग, जाति, धर्म आदि को पड़े रख कर की गई थी। एक गणराज्य और विभिन्नता में एकता रखने वाले देश के लिए यह किताब किसी धरम ग्रंथ से काम नहीं है। अब संविधान की इस आत्मा को आम जन भी स्वीकार कर रहे हैं। इसी सब के बीच तमिलनाडु की एक खबर तेजी से वाइरल हो रही है। दरअसल मामला है एक प्रमाण पत्र से समबंधित। तमिलनाडु में एक बच्ची विल्मा को 'नो कास्ट , नो रिलीजन' का सर्टिफिकेट मिला है।

तमिलनाडु में एक बच्ची विल्मा को No Cast No Religion Certificate मिला है। इस बच्ची की उम्र साढ़े तीन साल बताई जा रही है। विल्मा (Wilma) नरेश कार्तिक (Naresh Kartik) और उनकी पत्‍‌नी गायत्री (Gaytri) की बेटी हैं। यह सर्टिफिकेट नरेश और उनकी पत्नी ने विल्मा के लिए प्राप्त किया है।

यहाँ बात दें कि नरेश कार्तिक सीड्रेप्स एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक हैं। नरेश ने इस सर्टिफिकेट के लिए कहा कि वो नहीं चाहते कि उनकी बेटी किसी धर्म या जाति के बंधन में बधे या फिर उलझे।

मेरी बेटी के लिए ईश्वर का मतलब प्रेम होगा: नरेश

उन्होंने अपनी बेटी के भविष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी बेटी के लिए भगवान का मतलब प्रेम होगा। एक ऐसा प्रेम जो समानता पर आधारित होगा जिसमें किसी मजहब, जाति, वर्ग, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होगी। ऐसी ही शिक्षाओं को देश के सभी शिक्षण संस्थान द्वारा भी अपने छात्र छात्राओं को प्रतिपादित किया जाना चाहिए।

अपने बेटी के शिक्षा के संबंध में उन्होंने बताया कि वो जिस भी स्कूल में अपनी बेटी के एडमिशन के लिए गए, हर जगह उनसे कहा गया कि धर्म और जाति का कॉलम भरना जरूरी है। इसको भरे बिना एडमिशन नहीं किया जा सकता।

No Cast No Religion Certificate के बाद सरकारी आरक्षण के लिए अपात्र

इसके बाद नरेश कोयंबटूर के जिला कलेक्टर, जीएस समीरन के पास गए। वहाँ से उनको कोयंबटूर उत्तर के तहसीलदार के पास भेज दिया गया। तहसीलदार ने इस शपथ पत्र को देते हुए स्पष्ट किया कि, अब इस प्रमाण पत्र को प्राप्त करने के बाद विल्मा धर्म और जाति पर आधारित कोई भी सरकारी आरक्षण प्राप्त नहीं कर सकेगी। विल्मा के पिता के द्वारा शपथपत्र जमा करने के बाद ही उनकी बेटी को 'नो कास्ट, नो रिलीजन' सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।

यहाँ बात दें कि तमिलनाडु राज्य शिक्षा विभाग ने 1973 और 2000 के दो अलग-अलग आदेशों में स्कूली शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था कि उनके द्वारा उन लोगों को, जो धर्म या जाति का उल्लेख नहीं करना चाहते, उन्हें धर्म जाति संबंधी कॉलम रिक्त छोड़ने की अनुमति दी जाए।

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