चुनाव आयोग (EC) ने कानून मंत्रालय को एक उम्मीदवार को सिर्फ एक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि यह उन चुनावी सुधारों में से एक है, जिसे पहले भी प्रस्तावित किया गया था। सूत्रों ने कहा कि राजीव कुमार (Rajeev Kumar) के मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त होने के बाद इस प्रस्ताव को गति मिली।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया था और सरकार प्रस्तावित चुनाव सुधारों को लेकर आयोग से चर्चा कर रही है। सूत्रों ने कहा कि इस संबंध में जल्द ही बैठक होने की संभावना है।
मौजूदा चुनावी कानून के अनुसार, एक उम्मीदवार को आम चुनाव या उप-चुनावों के समूह या द्विवार्षिक चुनावों में दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति है। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक सीटों से निर्वाचित होता है, तो वह व्यक्ति केवल उन्हीं सीटों में से एक पर कब्जा कर सकता है जो उसने जीती है।
आयोग के अनुसार, जब कोई उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है और वह दोनों सीटों पर जीत हासिल करता है तो उसे दो में से एक सीट खाली करनी पड़ती है। इसके बाद उप-चुनाव कराना पड़ता है, जिससे सरकारी खजाने पर अपरिहार्य वित्तीय बोझ पड़ता है। इसके अलावा, सीट छोड़ना उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के साथ अन्याय है।
सन् 1996 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन किया गया, ताकि किसी व्यक्ति को दो से अधिक सीटों से चुनाव लड़ने से रोका जा सके। संशोधन से पहले, उन निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या पर कोई रोक नहीं थी, जहां से एक उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता था।
प्रस्तावित चुनावी सुधारों के अनुसार, आयोग ने सिफारिश की है कि कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई व्यक्ति चुनाव के संचालन और बेहतर प्रबंधन के लिए एक समय में एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव नहीं लड़ सकता है।
साल 2004 में चुनाव आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार, सरकारी खाते में जमा की जाने वाली राशि को उप-चुनाव कराने के लिए खर्च के रूप में इस्तेमाल करने के लिए 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया था।
आईएएनएस/PT