IAS नहीं थे, लेकिन सिस्टम को चकमा दे गए, 1 साल में सामने आए 5 बड़े फर्जी अफ़सर

पिछले एक साल में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आई हैं कि कुछ लोग फर्जी IAS अफसर बनकर लोगों से ठगी करते हैं। ऐसे लोगों ने IAS जैसा प्रतिष्ठित पद, जो ईमानदारी और जिम्मेदारी का प्रतीक माना जाता है
एक तरफ भारतीय पुलिस, एक तरफ कैप
फर्जी IAS अफसर बनकर चकमा देने वाले 5 ठग X
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देश के कई हिस्सों से फर्जी IAS अधिकारी बनकर करोड़ों की ठगी के मामले सामने आए।

आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र, लग्जरी गाड़ियाँ और अफसराना भाषा से लोगों को धोखा दिया।

2025 में पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू की।

स्पेशल 26 सिनेमा आप सभी ने देखा ही होगा कि कैसे 4 लोग नकली CBI बनकर जगह-जगह छापेमारी करते हैं और उनका पैसा हड़प लेते हैं। फिल्म में मनोज बाजपेयी जो एक असल में CBI अधिकारी हैं, कहते हैं, 'चार लोग हों, लेकिन क्या उत्पात मचा रखा है। ये तो एक फिल्म थी लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि असल ज़िंदगी में भी इस प्रकार की घटना हो सकती है। हो सकती है क्या? हुई है और हो रही है।

पिछले एक साल में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आई हैं कि कुछ लोग फर्जी IAS अफसर बनकर लोगों से ठगी करते हैं। ऐसे लोगों ने IAS जैसा प्रतिष्ठित पद, जो ईमानदारी और जिम्मेदारी का प्रतीक माना जाता है, उसे धूमिल करने का औजार बना लिया है। ऐसी घटनाएं हमारे प्रशासनिक ढांचे और भरोसे की संस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

ऐसे में आज हम पिछले एक साल में देश में हुए 5 फर्जी IAS अफसरों की घटना का जिक्र करेंगे, जिनसे समझ आता है कि ये समस्या कितनी गहरी है।

गोरखपुर: 3 साल तक IAS बनकर घूमता रहा आरोपी

मामला 11 दिसंबर 2025 का है जहाँ यूपी के गोरखपुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। पुलिस ने 3 ऐसे लोगों को पकड़ा जो खुद को फर्जी IAS अधिकारी बताकर अलग-अलग राज्यों में घूम रहे थे। इन आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र, सरकारी भाषा और अफ़सरों जैसी बॉडी लैंग्वेज के ज़रिए लोगों का भरोसा तक जीत लिया। साथ ही सरकारी नौकरी लगवाने, तबादला करवाने और प्राइवेट कंपनियों तक में नौकरी दिलवाने के नाम पर लोगों से पैसे ऐंठ लिए।

चौंकाने वाली बात तो ये है कि किसी ने भी उनके अलसियत का पता लगाने तक भी कोशिश नहीं की। मामला तब सामने आया जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। आरोपी का नाम ललित किशोर उर्फ़ गौरव कुमार है और वो बहनोई अभिषेक कुमार और साथी परमानंद गुप्ता के साथ मिलकर ऐसी फर्जी घटना को अंजाम देता था।

इन्हें गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने बताया कि तीनों को कानूनी कार्रवाई के तहत जेल भेज दिया गया है। तीनों फर्जी अधिकारी बनकर अनेक लोगों को ठगी का निशाना बनाते थे। जो भी लोग ठगे गए हैं, वे पुलिस स्टेशन आकर शिकायत दर्ज कराएँ, इससे जांच में मदद मिलेगी।

लखनऊ: लग्ज़री गाड़ी में चलने वाला फर्जी IAS

दूसरा मामला लखनऊ का है। आरोपी का नाम सौरभ त्रिपाठी बताया गया, जिसकी उम्र करीब 38 वर्ष थी। आरोपी उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। उसने खुद को एक बड़े सरकारी IAS अधिकारी के रूप में लोगों के सामने पेश किया और धोखा देकर ठगी की। आरोपी सौरभ खुद को यूपी में सरकार का स्पेशल सेक्रेटरी और बाहर के प्रदेशों में केंद्रीय सरकार का सेक्रेटरी दोनों बताता था। जनाब के ठाठ बाट तो ऐसे थे कि वो मर्सिडीज-बेंज, रेंज रोवर डिफेंडर, टोयोटा फॉर्च्यूनर और इनोवा जैसी गाड़ियों में घूमा करते थे। फर्जी नंबर प्लेट, सिग्नल लाइट और सरकारी पास भी इसने ले रखा था।

सरकारी कार्यक्रमों में पहुंचना, अधिकारियों से बेझिझक बात करना और अंग्रेज़ी-हिंदी की अफ़सराना भाषा बोलना उसकी पहचान बन गई थी। इसकी लाइफस्टाइल देखकर सबने मान लिया था कि वो एक IAS अफसर ही है। साथ ही उसने उसने सोशल मीडिया पर खुद की फोटो राज्य और केंद्रीय नेताओं के साथ पोस्ट करके भरोसा बनवाया, ताकि लोग सोचें कि वह सच में अधिकारी है।

हालांकि, एक ना एक दिन इसे पकड़ा ही जाना था। हुआ भी यही, सितंबर 2025 में वज़ीराबाद इलाके में वाहन चेकिंग के दौरान ये पकड़ा गया। सौरभ अपनी महंगी मर्सिडीज़ कार में घूम रहा था और खुद को IAS अधिकारी बता रहा था। जब पुलिस को शक हुआ, तो उसने चेकिंग की और इस दौरान सरकारी पहचान पत्र और दस्तावेज़ मांगे गए। जाँच में सभी फर्जी निकले। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की और बाद में गिरफ्तार भी कर लिया। आगे तलाशी के बाद उसके घर से कई नकली दास्तावेज भी मिले।

हैदराबाद: फर्जी पहचान, वॉकी-टॉकी और फर्जी सुरक्षाकर्मी

तीसरा मामला हैदराबाद का है जहाँ 26 नवंबर 2025 को पुलिस ने एक ऐसे ठग को धर दबोचा, जो खुद को IAS/IPS अधिकारी बताकर लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। आरोपी की पहचान बथिनी शशिकांत (39 वर्ष) के रूप में हुई। पुलिस के मुताबिक वो करीब 2-3 साल से लोगों को ठग रहा था। कभी गलत नाम बताकर, तो कभी गलत पद बताकर।

कभी ये आरोपी IAS अधिकारी बन जाता था, कभी IPS, तो कभी NIA अधिकारी। लोगों का भरोसा जीतने के लिए उसने फर्जी पहचान पत्र, विज़िटिंग कार्ड और सरकारी दस्तावेज तक बनवा लिए थे। इतना ही नहीं, बाबू साहेब के शौक भी नवाबों वाले थे।

फर्जी अधिकारी का पूरा अनुभव लेने के लिए वो पुलिस सायरन, वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करता था और अपने फर्जी सुरक्षाकर्मी तक बना रखे थे। पुलिस ने ये भी बताया कि उसने ₹10.50 लाख एक जिम के मैनेजिंग डायरेक्टर से लिए और ये कहा कि वो उसे औद्योगिक जमीन और सरकारी फायदे दिला देगा। पैसा लेने के बाद जनाब गायब हो गए।

पीड़ित ने जब शिकायत की, तब जाँच शुरू हुई। पुलिस ने आरोपी कोशेखपेट इलाके से गिरफ्तार किया। उसके पास से फोन के साथ कई सिम कार्ड, वॉकी-टॉकी और फर्जी दस्तावेज बरामद हुए। पुलिस फिलहाल अभी आगे की जाँच कर रही है।

महाराष्ट्र: फर्जी महिला IAS और ऊंचे सपने

27 नवंबर 2025 को महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) में पुलिस ने एक ऐसी महिला को गिरफ्तार किया, जो फर्जी आधार कार्ड और जाली IAS नियुक्ति पत्र के आधार पर खुद को एक IAS अधिकारी बता रही थी। मामला जब संगीन लगा, तो इस मामले के जाँच की जिम्मेदारी ATS यानी एंटी टेररिज्म स्क्वॉड को सौंपी गई।

पुलिस ने बताया कि आरोपी महिला सपने काफी उन्हें थे और वो पांच-सितारा होटलों तक में रुका करती थी और उसकी गिरफ्तारी भी वही से हुई। पहचान छुपाने के लिए उसने नकली आधार कार्ड बनवाया था। तलाशी में महिला के पास से फर्जी IAS नियुक्ति पत्र भी मिला जिससे लोग भ्रमित होते थे। यही चीज दिखाकर वो होटल स्टाफ और अन्य लोगों पर रौब जमाती थी।

पुलिस के सत्यापन में सभी कागजात फर्जी पाए गए। पहले तो उसे हिरासत में लेकर पूछताछ किया गया गया और फिर गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसके सभी नकली दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। अब इस मामले की जाँच ATS कर रही है कि महिला ने किस संगठित गिरोह की मदद से ये फर्जी दस्तावेज बनाए है। साथ ही ये भी पता लगाया जा रहा है कि कितने लोगों को ठगा गया है।

लखनऊ: 80 करोड़ रुपये का नौकरी घोटाला

पांचवां मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ का है जहाँ 17 अक्टूबर 2025 को पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति को दबोचा जो खुद को 2014 बैच का IAS अधिकारी बताकर लोगों को ठग रहा था। आरोपी का नाम डॉ. विवेक मिश्रा बताया जा रहा है, जो करीब 150 बेरोजगारों से लगभग ₹80 करोड़ ऐंठ चुका है।

पुलिस का कहना है कि आरोपी विवेक खुद को गुजरात कैडर का IAS अधिकारी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी बताता था और नौकरी दिलवाने के नाम पर लोगों के पैसे ले लेता था। इसके लिए उसने नकली नियुक्ति पत्र, फर्जी सरकारी दस्तावेज़, जाली सरकारी मुहर और पहचान पत्र तक बनवा रखे थे। वो लोगों से ये कहता था कि उनकी नौकरी DSP, PRO और अन्य प्रतिष्ठित सरकारी पदों पर लगवा सकता है। इसके लिए वो लाखों रुपए ठगता था।

साल 2019 में विवेक पर FIR दर्ज की गई थी और इसके बाद से ही वो फरार था। करीब 6 साल के बाद वो पुलिस के हत्थे चढ़ा और लखनऊ से गिरफ्तार हुआ। जाँच में ये भी पता चला कि वो सरकारी नौकरी के झांसे में युवाओं को फंसाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता था। अब पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि उसने कितने लोगों को ठगा है और किस-किस से मदद ली है।

तो ये थी कहानी 5 फर्जी IAS अफसरों की जो लोगों को ठगते थे लेकिन अंत में साल 2025 में गिरफ्तार हुए।

(RH/ MK)

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