

इस प्रस्ताव में योग को मानव जीवन को संतुलित, स्वस्थ और पूर्ण बनाने वाला विज्ञान बताया गया। पीएम मोदी की इस पहल को दुनियाभर से लोगों का समर्थन मिला।
महज 90 दिनों के भीतर, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने योग को लेकर ऐतिहासिक ऐलान कर दिया। 11 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए गए ऐलान के अनुसार 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ (‘International Day of Yoga’) घोषित कर दिया। तब से हर साल 21 जून को विश्व के अलग-अलग कोने में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर दुनियाभर के नेता योग कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर शामिल होते हैं।
यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सबसे तेजी से पारित होने वाले प्रस्तावों में से एक माना जाता है। भारत ने योग को सिर्फ एक व्यायाम पद्धति के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के समग्र दर्शन, शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के रूप में दुनिया के सामने रखा।
अब सवाल उठता है कि आखिर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए 21 जून का ही दिन क्यों चुना गया। दरअसल, हर साल 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पीछे एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पहलू है। यह साल का सबसे लंबा दिन होता है और 21 जून को सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर गति शुरू करता है। इसे भारतीय परंपरा में ऊर्जा और स्थिरता का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए इस तारीख को चुना गया।
पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया था, जिसमें दुनिया के 190 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया। भारत में भी इसे धूमधाम से मनाया गया। दिल्ली में राजपथ पर विशाल समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें 35,000 से अधिक लोगों ने एक साथ योग का अभ्यास करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद से हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम तय की जाती है और दुनिया भर में लाखों लोग विभिन्न आयु समूहों और पृष्ठभूमियों से सक्रिय रूप से इसमें शामिल होते हैं।
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