रायपुर में जब शिक्षिका पहुंची स्कूल यूनिफॉर्म में

कई वाक्ये हर किसी को रोमांचित कर देने वाले होते हैं और बच्चों के बीच की बात हो तो उसके कहने ही क्या। छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक सरकारी स्कूल के एक नजारे ने बच्चों को रोमांच के समुंदर में गोते लगवा दिए। ऐसा इसलिए क्योंकि शिक्षिका ही बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल आती हैं।
छत्तीसगढ़ के रायपुर(Raipur) के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका भी  बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल आती हैं। (Image: Wikimedia Commons
छत्तीसगढ़ के रायपुर(Raipur) के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका भी बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल आती हैं। (Image: Wikimedia Commons
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कई वाक्ये हर किसी को रोमांचित कर देने वाले होते हैं और बच्चों के बीच की बात हो तो उसके कहने ही क्या। छत्तीसगढ़ के रायपुर(Raipur) के एक सरकारी स्कूल के एक नजारे ने बच्चों को रोमांच के समुंदर में गोते लगवा दिए। ऐसा इसलिए क्योंकि शिक्षिका ही बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल आती हैं।

 राजधानी रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक स्कूल शिक्षिका जान्हवी यदु ने एक अभिनव पहल की। वे बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल पहुंची। शिक्षिका को स्कूल यूनिफार्म में देख कर बच्चे बहुत खुश हुए। नए रूप में शिक्षिका को देखकर बच्चों ने पढ़ाई में अधिक उत्साह दिखाया।

बच्चों को लगा कि शिक्षिका उनकी एक अच्छी मित्र और मार्गदर्शक हैं। सोशल मीडिया में इसकी बड़ी चर्चा हो रही है। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और उनमें अनुशासन का भाव जगाने के उद्देश्य से शिक्षिका जान्हवी यदु ने स्कूली बच्चों जैसा स्कूल यूनिफार्म पहन कर आना शुरू किया।

छत्तीसगढ़ के रायपुर(Raipur) के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका भी  बच्चों की यूनिफॉर्म में स्कूल आती हैं। (Image: Wikimedia Commons
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इससे ऐसे विद्यार्थी जो यूनिफार्म में स्कूल नहीं आते थे, वो भी स्कूल में यूनिफार्म पहन कर आना शुरू कर दिया। यह नजारा राजधानी रायपुर के रामनगर स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राथमिक स्कूल का है।

बच्चे कक्षा में पढाई जा रही विषय वस्तु कितना समझते है इसके आकलन के लिए शिक्षिका ने स्कूल यूनिफार्म में बच्चों के बीच बैठकर आकलन किया। जिन बच्चों को समझने में कठिनाई आ रही थी उन्हें फिर से उनके बीच बैठकर सीखने में सहयोग किया।

शिक्षिका जान्हवी यदु का कहना है कि स्कूली बच्चों के प्रेरणा के स्त्रोत शिक्षक होते हैं। बच्चों में शिक्षकों को देखकर ही उनमें अनुशासन आता है। यदि शिक्षक स्कूल के नियमों का पालन सही तरीके से करते हैं तो बच्चे भी उनका अनुसरण करते हैं।

उन्होंने बताया कि बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने नए गैट-अप में स्कूल आना शुरू किया तो इसके कई रोचक अनुभव भी हुए। कई बार उन्हें उनके सहकर्मी पहचान नहीं पाए तो कई बार बच्चों ने भी उनसे बच्चों जैसा बर्ताव किया। (IANS/AK)

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