Population Control Bill: चीन के बाद विश्व में भारत जनसंख्या के मामले में दूसरे नंबर पर है; जिसका अकेला राज्य उत्तर प्रदेश 2011 की गणना के अनुसार ब्राजील के 2018 की जनसंख्या के बराबर है, जोकि लगभग 20 करोड़ से 21 करोड़ के मध्य है। बल्कि सर्वोच्च अदालत में दायर एक याचिका के अनुसार देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को जोड़ लिया जाए तो फिर यह संख्या चीन से भी ज्यादा है।
बात दें कि बीते मंगलवार को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल (Prahlad Patel) के द्वारा Population Control Bill संबंधित एक बयान के बाद इसपर चर्चा तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में मीडिया से बात करते वक्त मंत्री ने कहा कि चिंता मत कीजिए, केंद्र सरकार जल्द ही Population Control Bill लाएगी।
समय के साथ बदलते परिवेश में यह जनसंख्या वृद्धि कई दशकों से समस्या के केंद्र में रही है, जहां हम आए दिन प्राकृतिक आपदा तथा मानवीय आपदा को मानसिक स्तर पर सहन कर रहे हैं उनका कहीं ना कहीं सीधा संबंध जनसंख्या वृद्धि से है जिसने प्राकृतिक संसाधनों पर न केवल अतिक्रमण किया है अपितु उसका ह्रास भी किया है। यहां जनसंख्या से आशय किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या से है।
हमारे सामने यूनाइटेड नेशंस डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक एंड सोशल अफेयर्स (UN DESA) के सांख्यिकी के अनुसार यह भविष्यवाणी है कि 2024 तक भारत विश्व का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। ऐसे में हमारे देश के न्याय व्यवस्था एवं विधायिका को जनसंख्या नियंत्रण पर स्फूर्ति से कार्य करने की प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) एक ऐसा तरीका है जिसमें जनसंख्या वृद्धि की दर को बदल दिया जाता है, जिसे जन्म दर सीमित करके संभव किया जा सकता है। इसी की वकालत में देश के सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दायर हैं। 2021 की दायर एक याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट स्वच्छ हवा के अधिकार, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, शेल्टर, आजीविका और सुरक्षा की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 को मजबूत करने में सफल नहीं रहा है।
यद्यपि विश्व में 1800 ई. की 1 अरब की आबादी आज 7.7 अरब की आबादी पर पहुंचने के बावजूद जनसंख्या वृद्धि में 50 वर्षों के रिकॉर्ड में 2.2% से 1.05% की गिरावट आई है, पर फिर भी भारत इस घटाव के बाद भी संकट के घेरे में घिरा हुआ है। क्योंकि हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है।
भारत (India) की कम साक्षरता दर इसके जनसंख्या विस्फोट (Population Explosion) में काफी हद तक योगदान देती है। आमतौर पर देखा गया है कि अनपढ़ और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है जिसका मूलतः कारण जागरूकता का अभाव ही है। दूसरी तरफ पुराने विचारों का घर्षण अब भी भारतीय समाज के निचले तबके पर नजर आता है जिसके तहत एक से अधिक बच्चे घर की आमदनी बढ़ाने में सहयोग देंगे। बेरोजगारी से जूझते हुए आज भी भारतीय समाज के कुछ वर्गों में पितृसत्तात्मक सोच हावी बनी हुई है जिसके कारण लड़के के जन्म के इंतजार में वे परिवार कई लड़कियों को जन्म दे देते हैं तथा ऐसे में यह एक कारण भी पर्याप्त है जनसंख्या वृद्धि के कारणों के लिए।
अब प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान रूप से हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन बनता जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप गरीब और गरीब, तथा अमीर और अमीर बनते जा रहे हैं। जनसंख्या न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करती है। चूंकि अधिक आबादी को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, वनों की कटाई तेज दर से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को दूर ले जाती है। इसी तरह, उनके निवास स्थान को मानवीय गतिविधियों के कारण नष्ट किया जा रहा है।
अधिक जनसंख्या भारत के आर्थिक विकास की राह में एक बाधा है। जब यह बात सर्वविदित है की युवा ही किसी भी राष्ट्र का भविष्य होता है तब आवश्यकता है की आज के युवा पीढ़ी के बीच परिवार नियोजन को प्रोत्साहित किया जाए तथा साथ ही गर्भ निरोधकों के उपयोग के प्रति भी जागरूक किया जाना चाहिए।
भारत की विशाल जनसंख्या आर्थिक बुनियादी ढांचे पर बहुत अधिक दबाव डालती है। यही सही समय है कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था और हमारे देश की प्रगति के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए उपाय करने चाहिए।