13 साल बिना छुट्टी करते रहे काम : पीएम मोदी का जन्मदिन

जिन्होंने नही ली 13 साल तक एक भी छुट्टी आज हैं उन्हीं पीएम मोदी का जन्मदिन।
पीएम मोदी का जन्मदिन
पीएम मोदी का जन्मदिन Wikimedia
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17 सितंबर को, पीएम मोदी मना रहे अपना 72वां (72th) जन्मदिन । देखा जाए तो प्रधानमंत्री का जीवन एक फिल्म की कहानी जैसा हैं । उनके जीवन का सफर काफ़ी रोचक हैं जो एक चाय बेचने वाले से शुरू होता है और प्रधानमंत्री बनने तक चल रहा हैं।

पीएम मोदी के जीवन से जुड़े हर छोटे-बड़े तथ्य से आप वाकिफ होंगे। लेकिन आज हम आप को उनके बारे में कुछ ऐसी चीजें बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप वाकिफ न हों। जिन पीएम मोदी का जन्मदिन है उनकी कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं प्रतीत होती है ।चाय बेचने से देश का प्रधानमंत्री तक का सफर बेहद ही रोचक और कठोर रहा है।

पीएम मोदी का जन्मदिन
देश के हर नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा- Narendra Modi

13 साल से बिना छुट्टी कर रहे काम

छुट्टी का महत्व तो हम सभी जानते हैं और यदि कोई हमें बिना छुट्टी लगातार सालों काम करने को कहें तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके ठीक विपरीत नरेंद्र मोदी काफी अलग हैं , वे वर्कहॉलिक हैं ,यह तो आप सभी जानते हैं । लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 13 साल की सेवा के दौरान कभी छुट्टी नहीं ली और ना ही वे कभी बीमार पड़े हुए अपनी प्राथमिकता हमेशा से ही काम को रखते हैं।

फोटोग्राफी का शौक

नरेंद्र मोदी के दो शौक के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं नरेंद्र मोदी को कविताएं लिखने और फोटोग्राफी करने का बहुत शौक है । वह सामान्यतः अपनी मातृभाषा गुजराती में लिखते हैं और कुछ किताबें भी लिख चुके हैं । उनके पास उनकी क्लिक की हुई तस्वीरों का बहुत ही सुंदर कलेक्शन है।

शराब से कोसों दूर

मोदी एक स्वस्थ और सरल जीवन जीते हैं । वे एक आध्यात्मिक व्यक्ति हैं । उन्होंने ना तो कभी धूम्रपान किया है और ना ही किसी प्रकार का नशे का सेवन किया है । वह शुद्ध शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं और कभी सुबह का योगा स्किप नहीं करते ।

बीच में छोड़ा कॉलेज

मोदी उस समय अपनी वर्तमान स्थिति से इतना परेशान हो चुके थे कि उन्होंने सांसारिक चीजों को छोड़ने का निर्णय कर लिया । और धार्मिक गतिविधियों के लिए अपने जीवन को समर्पण करने का फैसला लिया। इसी के चलते उन्होंने अपना कॉलेज छोड़ दिया और सामान पैक करके घर से कोलकाता के बेलूर मठ की यात्रा के लिए रवाना हो गए जहां उन्होंने आश्रय लिया। कुछ समय बाद 28 साल की आयु में 1978 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की।

(PT)

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