अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर भारत के इन मंदिरों में जरूर करें दर्शन

इस दिन बिना किसी मुहूर्त के लोग अपना कोई नया काम शुरू कर सकते हैं, शादी कर सकते हैं या फिर नया घर या वाहन खरीद सकते हैं अर्थात् इस तिथि पर कोई भी शुभ और मांगलिक काम करने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ता है।
Akshay Tritiya 2024 : इस तिथि पर कोई भी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ता है। भारत के कुछ मंदिरों में इस दिन को हर्षोल्लाल से मनाया जाता है। (Wikimedia Commons)
Akshay Tritiya 2024 : इस तिथि पर कोई भी शुभ काम करने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ता है। भारत के कुछ मंदिरों में इस दिन को हर्षोल्लाल से मनाया जाता है। (Wikimedia Commons)
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Akshay Tritiya 2024 : हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बेहद खास होता है। मान्यताओं के अनुसार, यह दिन शुभ और फलदायी मानी गई है। कहा जाता है कि इस दिन बिना किसी मुहूर्त के लोग अपना कोई नया काम शुरू कर सकते हैं, शादी कर सकते हैं या फिर नया घर या वाहन खरीद सकते हैं अर्थात् इस तिथि पर कोई भी शुभ और मांगलिक काम करने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ता है। भारत के कुछ मंदिरों में इस दिन को हर्षोल्लाल से मनाया जाता है। इन मंदिरों के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत खास होता है। आज हम आपको इन्हीं मंदिरों के बारे में बताएंगे, आप भी यहां इस खास दिन में दर्शन करने आ सकते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। (Wikimedia Commons)
अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। (Wikimedia Commons)

खुलते हैं बद्रीनाथ मंदिर के कपाट

अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। दिवाली के बाद 6 महीने के लिए इस मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस दिन कपाट बंद किए जाते हैं, उस दिन देवता यहां आकर भगवान की पूजा करते हैं। हर साल लोगों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। इसके अलावा इस दिन केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के द्वार भी खोले जाते हैं।

रथ निर्माण की होती है शुरुआत

ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर के लिए अक्षय तृतीया का दिन बेहद खास माना जाता है। दरअसल, हर साल जगन्नाथ यात्रा का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और सुभद्रा के साथ सड़क पर अलग-अलग रथों पर यात्रा करते हैं। इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया के दिन से शुरू हो जाता है इस दिन पंडे भगवान जगन्नाथ से माला लेते हैं और यहां रथ के निर्माण से पहले भव्य पूजा का आयोजन होता है।

 गर्मी को कम करने के लिए देवताओं को चंदन का लेप लगाया जाता है। (Wikimedia Commons)
गर्मी को कम करने के लिए देवताओं को चंदन का लेप लगाया जाता है। (Wikimedia Commons)

गौड़ीय वैष्णव मंदिरों में निकाली जाती है चंदन यात्रा

गौड़ीय वैष्णव मंदिरों में इस पावन पर्व पर चंदन यात्रा निकाली जाती है। यहां माना जाता है कि भगवान को भी गर्मी लगती है। इसलिए इस मौके पर गर्मी को कम करने के लिए देवताओं को चंदन का लेप लगाया जाता है। मंदिरों में यह एक विशाल पर्व होता है, जो अक्षय तृतीया से शुरू होकर गुरु पूर्णिमा तक मनाया जाता है।

गरुड़ सेवई उत्सव की शुरूआत

अक्षय तृतीया के दिन तमिलनाडु राज्य में स्थित कुंभकोणम मंदिर में विशाल गरुड़ सेवई उत्सव की शुरूआत होती है। इस खास दिन पर आसपास के 12 प्रसिद्ध मंदिरों में भी यह उत्सव जोरो शोरों से मनाया जाता है।

अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को खूब सजाया जाता है। (Wikimedia Commons)
अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को खूब सजाया जाता है। (Wikimedia Commons)

इसी दिन होता है बांके बिहारी के चरणों का दर्शन

अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को खूब सजाया जाता है। यह वही दिन है, जब भक्त प्रभु के चरण कमलों के दर्शन कर सकते हैं। आपको बता दें कि पूरे साल यहां देवता के चरण कमलों से ढककर रखा जाता है और केवल अक्षय तृतीया के दिन ही भक्तो को उनके चरणों के दर्शन करने का शुभ अवसर मिलता है।

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