ब्रह्मा जी के आंसुओं से बना था आंवला का वृक्ष, जानिए आमलकी एकादशी का महत्व

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ शिव-गौरी की भी पूजा का विधान है। इसके साथ ही यह भी माना गया है कि आमलकी एकादशी व्रत के प्रभाव से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पा लेता है।
Amalaki Ekadashi 2024 :ब्रह्मा जी भावुक हो गए और उनके आंखों से अश्रुधारा बहने लगी और अश्रुधारा से ही आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई।(Wikimedia Commons)
Amalaki Ekadashi 2024 :ब्रह्मा जी भावुक हो गए और उनके आंखों से अश्रुधारा बहने लगी और अश्रुधारा से ही आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई।(Wikimedia Commons)
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Amalaki Ekadashi 2024 : हिंदू धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ शिव-गौरी की भी पूजा का विधान है। इसके साथ ही यह भी माना गया है कि आमलकी एकादशी व्रत के प्रभाव से साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पा लेता है। आइए जानते हैं इस महीने की आमलकी अमावस्या का शुभ मुहूर्त क्या है।

आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत दोपहर को 12 बजकर 21 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 21 मार्च को 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि के कारण, 20 मार्च को ही आमलकी एकादशी मनाई जाएगी तथा 21 मार्च को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से लेकर 3 बजकर 32 मिनट तक आमलकी एकादशी व्रत का पारण किया जा सकता है।

सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए थे। (Wikimedia Commons)
सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए थे। (Wikimedia Commons)

क्या है महत्व

सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए थे। उन्हें स्वयं की उत्पत्ति के बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। इसके लिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की तपस्या प्रारंभ कर दी। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने जब दर्शन दिए तो ब्रह्मा जी भावुक हो गए और उनके आंखों से अश्रुधारा बहने लगी और अश्रुधारा से ही आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई।

भगवान विष्णु प्रसन्न होकर बोले की आंवले के वृक्ष में सभी देवी और देवताओं का वास होगा। कोई भी आमलकी एकादशी व्रत करेगा और आंवले के पेड़ के नीचे विधि विधान से मेरी पूजा करेगा, तो उसके सभी मनोकामना पूर्ण होंगे और पाप कर्म खत्म हो जाएंगे और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।

क्या है पूजा विधि

आमलकी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। मंदिर में विष्णुजी का ध्यान करें और इसके बाद विष्णुजी की विधि-विधान से पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। आंवले के पेड़ की पूजा करें और उस पर रोली, चंदन, फूल और अक्षत जरूर चढ़ाएं। इस दिन पूजा के दौरान विष्णुजी को आंवले का भोग जरूर लगाएं। अंत में विष्णुजी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।

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