2024 में कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि ? जाने गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि बेहद खास मानी गई है। इस दिन नौंवी महाविद्या मां मातंगी के पूजन का विधान है। मां मातंगी की पूजा के साथ ही इस नवरात्रि का समापन हो जाता है।
Ashadha Gupt Navratri - धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में काली माँ और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से किया जाता हैं। (Pixabay)
Ashadha Gupt Navratri - धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में काली माँ और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से किया जाता हैं। (Pixabay)

Ashadha Gupt Navratri - सनातन धर्म में दुर्गा माता की उपासना नवरात्री में की जाती है। नवरात्रि दो प्रकार की होती हैं पहली प्रकट नवरात्रि और दूसरी गुप्त नवरात्रि। लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रकट नवरात्रि में दुर्गा माँ की सार्वजनिक रूप से पूजा अर्चना की जाती हैं जबकि गुप्त नवरात्रि में काली माँ और दस महाविद्या की पूजा गुप्त रूप से किया जाता हैं। नए साल में 6 जुलाई 2024 से गुप्त नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होकर दिन मंगलवार, 16 जुलाई 2024 तक जारी रहेगा।

गुप्त नवरात्रि के 9 दिन तंत्र साधना से महाविद्या को प्रसन्न किया जाता है। गृहस्थ जीवन वालों को गुप्त नवरात्रि में सामान्य रूप से देवी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में किए गए कुछ खास उपाय से देवी प्रसन्न होती हैं। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि बेहद खास मानी गई है। इस दिन नौंवी महाविद्या मां मातंगी के पूजन का विधान है। मां मातंगी की पूजा के साथ ही इस नवरात्रि का समापन हो जाता है। मां मातंगी की पूजा से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा तथा हवन किया जाता है। साथ ही देवी मां को भोग में हलवा-पूरी और खीर का भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि के दिनों में किस प्रकार से पूजा करनी चाहिए।

नए साल में 6 जुलाई 2024 से गुप्त नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होकर दिन मंगलवार, 16 जुलाई 2024 तक जारी रहेगा। (Pixabay)
नए साल में 6 जुलाई 2024 से गुप्त नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होकर दिन मंगलवार, 16 जुलाई 2024 तक जारी रहेगा। (Pixabay)

कलश स्थापना

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान आदि करके शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें और गंगा जल छिड़क कर पवित्र करें। देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें। इसके उपरान्त माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति का दिया जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करना चाहिए।

माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति का दिया जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करना चाहिए। (Pixabay)
माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति का दिया जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करना चाहिए। (Pixabay)

माता के किस रूप की पूजा होती है?

जिस तरह चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है ठीक उसी प्रकार माघ एवं आसाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि की अवधि में साधक श्यामा (काली), तारिणी (तारा), षोडशी (त्रिपुर सुंदरी), देवी भुवनेश्वरी, देवी छिन्नमस्ता, देवी धूमवाती, देवी बागलमुखी, माता मतंगी और देवी लक्ष्मी (कमला) की आराधना करते हैं क्योंकि इस नवरात्रि में दस महाविद्या की उपासना गुप्त रूप से होती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि का नाम दिया गया है।

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