Ashadha Month: धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह में गुरु की उपासना सबसे उत्तम मानी जाती है। इस महीने में श्रीहरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। इस महीने में जल देव की उपासना का भी महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जल देव की उपासना करने से धन की प्राप्ति होती है। इस माह में ऊर्जा के स्तर को संयमित रखने के लिए सूर्य देव की उपासना की जाती है। आषाढ़ मास के प्रमुख व्रत-त्योहारों में जगन्नाथ रथयात्रा है। इसी महीने देवशयनी एकादशी के दिन से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं जिस कारण अगले चार माह तक शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है, जिसे चतुर्मास के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार, इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से बीमारियां दूर होती है और भक्तों को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। आषाढ़ में रविवार और सप्तमी तिथि का व्रत रखने से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
आषाढ़ महीना 23 जून से 21 जुलाई तक रहेगा। इस महीने उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने की परंपरा है। आषाढ़ के दौरान सूर्य अपने मित्र ग्रहों की राशि में रहता है, इससे सूर्य का शुभ प्रभाव और बढ़ जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस महीने में भगवान वामन अवतार में आए थे इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है।
आषाढ़ महीने में लगभग गर्मी खत्म होने लगती है और ये बारिश का मौसम शुरू होता है। दो मौसमों के संधिकाल की वजह से इन दिनों बीमारियों का संक्रमण ज्यादा होने लगता है। इसके साथ ही नमी के कारण फंगस और इनडाइजेशन की समस्या भी बढ़ जाती है। इसी महीने में ही मलेरिया, डेंगू और वाइरल फीवर ज्यादा होते हैं, इसलिए इस माह में खान-पान पर ध्यान देते हुए छोटे-छोटे बदलाव करके बीमारियों से बचा जा सकता है।
सूर्य को जल चढ़ाने से आत्मविश्वास बढ़ता है, और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। आषाढ़ महीने में सूर्योदय से पहले नहाकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने के साथ ही पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं। भविष्य पुराण में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य पूजा का महत्व बताया है। श्रीकृष्ण ने कहा है कि सूर्य ही एक प्रत्यक्ष देवता हैं यानी ऐसे भगवान हैं जिन्हें हम रोज देख सकते हैं। यदि श्रद्धा के साथ सूर्य पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सूर्य पूजा से ही कई ऋषियों को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ है।