Bhanu Saptami Vrat : भानु सप्तमी व्रत प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर किया जाता है। इस बार यह पर्व फाल्गुन माह में 03 मार्च रविवार के दिन मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पृथ्वी पर सूर्य जीवन का सबसे बड़ा कारण है, सभी देवी - देवता पृथ्वी और स्वर्ग में अदृश्य रूप से विचरण करते हैं, परंतु केवल सूर्यदेव को साक्षात देखा जा सकता है। इसीलिए सूर्य प्रत्यक्ष देव माने जाते हैं और प्राचीन काल से ही सूर्यदेव को वंदनीय माना जाता है। इसी कारण हर मास की भानु सप्तमी के दिन यह व्रत करने और भगवान सूर्य की उपासना करने से सूर्य देव प्रसन्न होकर विशेष फल प्रदान करते हैं।
भानु सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 03 मार्च सुबह 05:05 से शुरू होगा और इसका समापन शाम 05:43 पर हो जाएगा। वहीं इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:44 पर होगा। इस दिन अनुराधा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जो दोपहर 03:55 तक रहेगा।
इस बार यह तिथि रविवार के दिन आने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है, क्योंकि रविवार का दिन भगवान सूर्य देव की उपासना करने का दिन माना गया है। सप्तमी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान सूर्य देव की पूजा- उपासना करने का धार्मिक महत्व बहुत अधिक होने के कारण यह तिथि अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। भानु सप्तमी के दिन सूर्य की उपासना करना बड़ा ही पुण्यदायी होता है।
इस दिन नदी स्नान और अर्घ्य देने से आयु बढ़ती है तथा आरोग्य व संपत्ति की प्राप्ति होती है। इस दिन संकल्प लेकर व्रत करने तथा विधि-विधान के साथ पूजा करके भगवान सूर्यदेव की आरती करने से जीवन के समस्त दुखों का निवारण होता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा के बाद एक समय फलाहार करें। भानु सप्तमी के दिन उनके मंत्र- 'ॐ घृणि सूर्याय आदित्याय नमः' का जाप तथा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने का भी बहुत महत्व माना गया है। सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन का दान करें। श्रद्धानुसार इनमें से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है।