जनवरी में कब है भौम प्रदोष का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त कब है?

महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य से साधक के जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
Bhaum Pradosh Vrat 2024:इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। (Wikimedia Commons)
Bhaum Pradosh Vrat 2024:इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। (Wikimedia Commons)

Bhaum Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। हिंदी धर्म में तिथि के अनुसार भी व्रत-त्योहार पड़ते हैं। जैसे कि हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस प्रकार पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 23 जनवरी को है। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य से साधक के जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है। अतः साधक प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से पूजा-उपासना करते हैं। आज इस पूजा के शुभ मुहूर्त एवं पूजा-विधि जानते है।

क्या है शुभ मुहूर्त ?

पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जनवरी को संध्याकाल 07 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 23 जनवरी को संध्याकाल 08 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। अतः 23 जनवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

 विधि-विधान से महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। (Wikimedia Commons)
विधि-विधान से महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। (Wikimedia Commons)

क्या है पूजा विधि?

इस दिन सूर्योदय से पहले उठ जाना उत्तम माना गया है । इस समय भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। साथ ही इस दिन श्वेत रंग का वस्त्र धारण करें और व्रत संकल्प लें। इसके बाद भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में एक चौकी पर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

अब विधि-विधान से महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। इस समय भगवान शिव को भांग, धतूरा, मदार के पत्ते, धतूरे के फूल, बेल पत्र आदि चीजें अर्पित करें। वहीं, माता पार्वती को लाल रंग के फूल अर्पित करें। इस समय शिव एवं पार्वती चालीसा का पाठ करें। प्रसाद में भगवान शिव को फल, मिश्री और पंचमेवा का भोग लगाएं। अंत में आरती कर सुख-समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर व्रत रखें। प्रदोष काल में पुनः पूजा-आरती कर फलाहार करें।

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