वाराणसी : महानवमी पर मां सिद्धिदात्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, 'मां' के जयकारे से गूंज उठा मंदिर परिसर

वाराणसी, शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) की महानवमी के पावन अवसर पर वाराणसी में मां सिद्धिदात्री के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बुधवार सुबह से ही गोलघर के समीप सिद्धमाता गली स्थित मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। इस दौरान मंदिर परिसर 'जय माता दी' के जयकारों से गूंज उठा।
महानवमी पर माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
महानवमी पर माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई।IANS
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महानवमी (Mahanavami) पर माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की विशेष पूजा-अर्चना की गई। ब्रह्म मुहूर्त से ही भक्त नारियल, गुड़हल की माला, लाल चुनरी और प्रसाद लेकर मंदिर पहुंचे। मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, वातावरण भक्ति और उत्साह से सराबोर हो उठा। भक्तों ने मां सिद्धिदात्री से सिद्धि, सुख, शांति और सौभाग्य की कामना की।

मंदिर के महंत प्रेम शंकर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "महानवमी का दिन मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। काशी में नौ दुर्गा की अलग-अलग मूर्तियां स्थापित हैं और यह मंदिर सिद्ध माता को समर्पित है।"

श्रद्धालु रमेश चंद्र जायसवाल ने बताया, "आज के दिन मां सिद्धिदात्री देवी को पूजा जाता है और उनकी कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बनी रहती है। साथ ही माता की कृपा से जीवन में सुख-शांति भी आती है।"

श्रद्धालु इंद्रा ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "मां सिद्धिदात्री के दर्शन मात्र से मन को असीम शांति मिलती है।"

वहीं, श्रद्धालु आशा ने कहा, "मैंने नौ दिन तक मां की पूजा अर्चना की है और आज कन्या-पूजन करुंगी। माता की पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है। यह पर्व हम सभी के लिए बहुत खास है।"

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां सिद्धिदात्री भक्ति (Siddhidatri Bhakti) से प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान शिव को भी माता की कृपा से ही सर्व सिद्धियां प्राप्त हुई थीं।

मां सिद्धिदात्री का पूजन न केवल भौतिक सुख-समृद्धि के लिए, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी किया जाता है।

[SS]

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