द्वारका में 37000 महिलाओं ने बनाया महारास का वर्ल्ड रिकॉर्ड

इसमें 37 हजार से ज्यादा महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन किया और रविवार को ये महारास कर के सबने इतिहास रच दिया है।
Dwarka - इस भव्य परंपरा का ड्रोन से लिया गया अद्भुत वीडियो सामने आया है, जिसमें महारास का अलौकिक दृश्य दिख रहा है। (Wikimedia Commons)
Dwarka - इस भव्य परंपरा का ड्रोन से लिया गया अद्भुत वीडियो सामने आया है, जिसमें महारास का अलौकिक दृश्य दिख रहा है। (Wikimedia Commons)

Dwarka - कृष्ण भक्ति में लीन गोपियां जिस प्रकार राधा - कृष्ण के साथ महारास रचाती थी, ठीक उसी प्रकार लोगो ने वैसा ही भव्य महारास देखा तो दंग रह गए। द्वारका में रविवार को करीब साढ़े 5000 साल पहले श्रीकृष्ण के समय में जिस प्रकार महारास का आयोजन होता था ठीक उसी प्रकार यहां 37 हजार अहिरनियों ने एक साथ ब्रह्म मुहूर्त में महारास किया। इस भव्य परंपरा का ड्रोन से लिया गया अद्भुत वीडियो सामने आया है, जिसमें महारास का अलौकिक दृश्य दिख रहा है। बड़ी बात यह भी है कि 37 हजार अहीर महिलाओं ने एक साथ रास खेला तो यह विश्व रिकॉर्ड भी गया।इस कार्यक्रम में बीजेपी की सांसद पूनम बेन माडम भी पहुंची।

दरअसल द्वारका में अखिल भारतीय महारास संगठन अंतर्गत आहिर समाज की 37 हजार से ज्यादा महिलाओं ने महारास किया। भगवान श्री कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका में आहिर महिलाओं ने अपनी वर्षों पुरानी परंपरागत पोशाक पहन कर महारास करके इतिहास रच दिया।

यहां ढोल बजता रहा और महिलाएं रास खेलती गई।  (Wikimedia Commons)
यहां ढोल बजता रहा और महिलाएं रास खेलती गई। (Wikimedia Commons)

37 हजार महिलाओं ने करवाया रजिस्ट्रेशन

यात्राधाम द्वारका के पावन धरा पर आहिर समाज में महारास का आयोजन किया था, जिसमें पिछले 9 महीनों से समाज की महिलाओं का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया गया था। इसमें 37 हजार से ज्यादा महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन किया और रविवार को ये महारास कर के सबने इतिहास रच दिया है। इसमें महिलाओं ने अपने परंपरागत पोशाक पहन कर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

द्वारका में हो रहे महारास का मुख्य उद्देश्य विश्व फलक पर शांति बनी रहे और स्वच्छता के तर्ज पर लोगों को संदेश देना है। (Wikimedia Commons)
द्वारका में हो रहे महारास का मुख्य उद्देश्य विश्व फलक पर शांति बनी रहे और स्वच्छता के तर्ज पर लोगों को संदेश देना है। (Wikimedia Commons)

कार्य छोड़ रास खेलने आई महिलाएं

इस समारोह में हिस्सा लेने पूरे गुजरात से महिलाएं पहुंची थीं। मान्यता है कि कच्छ के व्रजवानी गांव में एक ढोली ने जब ढोल बजाना शुरू किया, तब आहिर समाज की 140 महिलाओं ने अपने कार्य को अधूरा छोड़कर रास खेलने चली गई थीं। लोककथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने यह ढोल बजाया था और सभी महिलाएं कृष्ण के संग रास रचाने गई थीं। यहां ढोल बजता रहा और महिलाएं रास खेलती गई। अभी भी उस जगह पर सभी महिलाओं की समाधि है। उसी तर्ज पर महारास का आयोजन किया गया, जिसमें 37 हजार से ज्यादा अहिर समाज की महिलाओं ने हिस्सा लेकर इतिहास रचा। द्वारका में हो रहे महारास का मुख्य उद्देश्य विश्व फलक पर शांति बनी रहे और स्वच्छता के तर्ज पर लोगों को संदेश देना है।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com