पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा, इस बार फाल्गुन अमावस्या के दिन करें ये उपाय

इस दिन पवित्र नदी में स्नान, और दान करने का विधान है। इस दिन व्रत करने से इंसान को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
Falgun Amavasya 2024 Date: पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान और तर्पण जरूर करें।(Wikimedia Commons)
Falgun Amavasya 2024 Date: पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान और तर्पण जरूर करें।(Wikimedia Commons)

Falgun Amavasya 2024 Date: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। हर महीने में एक बार अमावस्या मनाई जाती है। यह पितरों की पूजा के लिए समर्पित है। शास्त्रों में इस दिन पवित्र नदी में स्नान, और दान करने का विधान है। इस दिन व्रत करने से इंसान को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। इस दिन अमावस्या के दिन चीटियों को आटा अवश्य खिलाएं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान और तर्पण जरूर करें। ऐसा माना जाता है कि यदि हर अमावस्या पर आप पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाते हैं, तो फाल्गुन अमावस्या जैसी कुछ विशेष अमावस्याएं होती हैं, जिन पर ये श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।

कब है फाल्गुन अमावस्या

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 09 मार्च की शाम को 06 बजकर 17 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 10 मार्च को दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर तिथि का समापन होगा। उदया तिथि होने के कारण फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च को मनाई जाएगी।

फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है।(Wikimedia Commons)
फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है।(Wikimedia Commons)

क्या करें इस दिन

फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है। ऐसे में पवित्र नदी में स्नान करें और और विशेष चीजों का दान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना करें। आप अपनी श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों को कपड़े, भोजन और धन का दान जरूर करें।

करें ये विशेष उपाय

आप अमावस्या के दिन किसी गरीब को भोजन करवा सकते है। इस दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा जरूर करें। पितरों के लिए निमित्त तर्पण, श्राद्ध और दान करें। इससे पितर संतुष्ट होते हैं और पितरों के कष्ट कम होते हैं और उनकी नाराजगी दूर होती है। इस दिन संपूर्ण गीता पढ़ना संभव नहीं तो सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें। पीपल के पेड़ पर मीठा जल दें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितरों द्वारा मिलने वाला कष्ट दूर होता है।

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