शुरू हुआ कामाख्या मंदिर का प्रसिद्ध अंबुबांची मेला, जानिए खासियत

उत्सव में शामिल होने के लिए सभी वर्ग के भक्तों ने मीलों की यात्रा की। ढोल की थाप तथा मंत्रोच्चार की गूंज से वातावरण उत्साह और भक्ति से भर गया।
शुरू हुआ कामाख्या मंदिर का प्रसिद्ध अंबुबांची मेला, जानिए खासियत (IANS)
शुरू हुआ कामाख्या मंदिर का प्रसिद्ध अंबुबांची मेला, जानिए खासियत (IANS)
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न्यूज़ग्राम हिंदी: वार्षिक चार दिवसीय अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) शुरू होते ही शुक्रवार को हजारों भक्त गुवाहाटी (Guwahati) के कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) पहुंचे। मंदिर का दरवाजा गुरुवार आधी रात को बंद कर दिया गया और 26 जून को फिर से खोला जाएगा।

उत्सव में शामिल होने के लिए सभी वर्ग के भक्तों ने मीलों की यात्रा की। ढोल की थाप तथा मंत्रोच्चार की गूंज से वातावरण उत्साह और भक्ति से भर गया।

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असम सरकार (Assam Government) ने इस पवित्र मेले के शुरू होने के साथ ही तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की योजना बनाई है।

पांडु बंदरगाह शिविर को सरकार ने तीर्थयात्रियों के लिए आश्रय स्थल में बदल दिया है। शिविर में 15,000 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। वहां भोजन, उपयुक्त स्वच्छता सुविधाओं और स्नान की व्यवस्था की गई है।

रंग-बिरंगे परिधानों में भक्त अपनी इच्छाएं, प्रार्थनाएं और माता के प्रति आदर भाव लेकर नीलाचल पहाड़ी पर चढ़ते हैं जहां मंदिर स्थित है।

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Wikimedia Commons)
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी, असम (Wikimedia Commons)

अंबुबाची मेला शुरू होने के साथ गुवाहाटी में रंग, शोर और आध्यात्मिक उत्साह बढ़ गया है।

चार दिन तक यह शहर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहेगा, जो उन्हें उनकी आध्यात्मिक मान्यताओं के करीब लाएगा।

इस मेले को अमेटी या तांत्रिक प्रजनन उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।

जब यह मेला चल रहा होता है तो मंदिर के कपाट बंद रहते है, कपाट को 3 दिन के लिए इसलिए बंद कर दिया जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि देवी कामाख्या मासिक धर्म के दौरान 3 दिनों तक आराम कर रही हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है बल्कि यहां पर योनि जैसे एक पत्थर की पूजा की जाती है। इस पत्थर के ऊपर प्राकृतिक झरना बहता रहता है।

--आईएएनएस/PT

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