बाबा संस्कृति: बाबा बंगाली से लेकर आसाराम, राम रहीम तक

हमारे देश मे बाबाओ की बहुत मान्यता है उनमे से एक है बाबा बंगाली।
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एक अमीर परिवार की महिला हर हफ़्ते चुपके से एक झुग्गी इलाके में जाती थी। उसके पति को शक हुआ कि कहीं उसका किसी से अफेयर तो नहीं चल रहा। सच जानने के लिए उन्होंने जाँच टीम लगाई। धीरे-धीरे पता चला कि वह और किसी से नहीं बल्कि बाबा बंगाली के पास जाती है। मामले को और गहराई से जानने के लिए एक महिला अधिकारी को भेजा गया, जो खुद बाबा से मिलने गई। बाबा ने पूजा-पाठ के बहाने बातचीत शुरू की और फिर धीरे-धीरे “शुद्धि”, “आत्मसमर्पण” और “पवित्रता” के नाम पर ऐसी बातें करने लगे जिनका असल मतलब शारीरिक संबंध था। जब अधिकारी ने पूछा कि क्या वह महिला भी ये सब करती थी, तो बाबा ने बेहिचक कहा, “हाँ, यह तो सबको करना पड़ता है। यह घटना दिखाती है कि कैसे आस्था और विश्वास का सहारा लेकर ऐसे बाबा, लोगों का शोषण करते हैं।

यह एक अकेला मामला नहीं है जिसमे बाबा को भगवन बना दिया जाता है। 2013 में गुरु माने जाने वाले आसाराम बापू (Asaram Bapu) पर नाबालिग लड़की के बलात्कार का आरोप लगा। अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए उम्रकैद की सज़ा दी। यह मामला बताता है कि जब लोग बाबाओं को भगवान का रूप मानकर उन पर अंधविश्वास करते हैं, तो वही भरोसा उनके खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) का जीवन चमक-धमक और फिल्मी अंदाज़ से भरा था। उन्होंने अपनी प्रोड्यस की हुई फिल्म मे एक्टिंग भी की है और यू आर माय लव चार्जर जैसे गानो पर नाच गाना भी किया है। लेकिन उनके खिलाफ बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराध सामने आए। अदालत ने उन्हें दोषी ठहराकर उम्रकैद की सज़ा सुनाई। उनका केस इस बात का सबूत है कि बाबा संस्कृति और धर्म के नाम पर कैसे भयंकर अपराध छिपाए जाते हैं।

लोग बाबाओं को भगवान क्यों मानते हैं?

भारत (India) जैसे देश में धर्म और अध्यात्म लोगों की ज़िंदगी का गहरा हिस्सा है। जब लोग गरीबी (Poverty), बीमारी, रिश्तों की उलझनों या करियर की चिंता से परेशान होते हैं, तो वे किसी ऐसे सहारे की तलाश करते हैं जो उन्हें उम्मीद दे सके। बाबा निराशा और अकेलेपन की इसी खाली जगह पर अपनी पकड़ बनाते हैं। वे बड़े-बड़े वादे करते हैं, “हमसे आशीर्वाद लो, सब ठीक हो जाएगा। ये खाओ, ये पहनो कृपा बरसनी शुरू हो जाएगी।

उनका रहस्यमयी पहनावा, मीठी बातें और चमत्कारों की कहानियाँ आम आदमी को मोह लेती हैं। यही कारण है कि लोग उन्हें भगवान का रूप मानकर उनकी पूजा करने लगते हैं और उन पर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद भी उन्हें बचाते है उनके लिए लड़ते है, और कही ना कही एक अंधभक्त बन जाते है। इसी विषय मे हिंदी की किताब में एक अध्याय है, जिसमे लोगो को रौशनी बेचने के बारे में बताया जाता है की कैसे दो दोस्त होते है। एक घरों में लगने वाली लाइट्स या रौशनी बेचता है वही दूसरा बाबा बनके ज़िन्दगी की रौशनी बेचता है।

गुरु माने जाने वाले आसाराम बापू, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम
गुरु माने जाने वाले आसाराम बापू, डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम Wikimedia Commons

धर्म, पवित्रता और चरन सेवा के नाम पर शोषण

यहाँ सबसे खतरनाक पहलू यह है कि बाबाओं का असली हथियार “धर्म और पवित्रता” (Religion and Purity) की होती है। पुराने समय में इसे “चरन सेवा” (Charan Sewa) कहा जाता था, जैसा फिल्म “महाराज” (Maharaj) में दिखाया गया। उस दौर में भी बाबा भक्तों से सेवा के नाम पर निजी इच्छाएँ पूरी करवाते थे। आज भी उन्ही चीज़ो की नए शब्दों में रिब्रांडिंग कर दी गई है , “शुद्धता”, “मोक्ष” और “ईश्वर भक्ति”। भक्त अपनी आस्था में डूबकर सब कुछ त्याग देते हैं, और बाबा इस भरोसे का इस्तेमाल कर लेते हैं। चाहे पैसा हो, सम्मान हो या शरीर, हर चीज़ धर्म और ईश्वर के नाम पर लूटी जाती है।

निष्कर्ष

बाबा बंगाली (Baba Bengali) से लेकर आसाराम और राम रहीम जैसे मामलों ने साफ कर दिया है कि बाबा संस्कृति केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि शोषण का ज़रिया बन चुकी है। लोग उम्मीद और सहारे की तलाश में बाबाओं के पास जाते हैं, लेकिन कई बार वही लोग उनका सबसे ज़्यादा फायदा उठाते हैं। अब ज़रूरत है आँखें खोलने की, धर्म को इंसानियत और सच्चाई से समझने की, न कि बाबाओं भगवान बनाने की। अब समय है कि हम धर्म को समझें, न कि धर्म के ठेकेदारों को।

(Rh/BA)

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