माँ मंगला गौरी व्रत करके पाएं मनचाहा पति

माँ मंगला गौरी व्रत के दौरान जमीन पर ही अपनी शैय्या लगानी चाहिए और पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
माँ मंगला गौरी व्रत करके पाएं मनचाहा पति
माँ मंगला गौरी व्रत करके पाएं मनचाहा पति Shiv Gauri (Wikimedia Commons)
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Maa Mangala Gauri Vrat: माता पार्वती को पुराणों ने मंगल एवं सौभाग्य की दात्री बताया है। यही कारण है कि सावन में जहां सोमवार का महत्व होता है, वहीं माँ मंगला गौरी का व्रत विवाहित स्त्रियों को सौभाग्य और मंगलमय दाम्पत्य जीवन प्रदान करता है । अविवाहित कन्या यदि इस व्रत को श्रद्धा से करें तो उन्हें मनचाहा और मंगलकारी वर प्राप्त होता है।

इस वर्ष श्रावण मास 14 जुलाई 2022 से प्रारंभ हो रहा है, जिसमें 4 सोमवार पड़ रहे हैं। इसके साथ ही इसमें मंगलवार के दिन माँ मंगला गौरी का व्रत भी अत्यंत फलदायी माना गया है, क्योंकि इसी माह में माता पार्वती ने घोर तप करके भगवान शिव-शंकर को पति स्वरूप में प्राप्त किया था। इस मंगलकारी व्रत को कुंवारी और विवाहिता दोनों ही धारण कर सकती हैं।

मंगलागौरी का शुभ व्रत माता पार्वती को समर्पित है, जिसे श्रावण मास के मंगलवार को किया जाता है। भगवान शंकर के अत्यंत प्रिय महिना सावन में भगवान शंकर की विशेष पूजा-आराधना की जाती है और साथ ही माता पार्वती का मंगलागौरी का व्रत रखकर सौभाग्य की प्राप्ति की जाती है। इस मंगलकारी व्रत के विधि और तिथियों पर आइए प्रकाश डालें।

माँ मंगला गौरी व्रत करके पाएं मनचाहा पति
सावन में व्रत क्यों रखना चाहिए?

कैसे करें माँ मंगला गौरी व्रत?

माँ मंगला गौरी का व्रत भगवान शंकर के अति प्रिय सोमवार के अगले दिन मंगलवार को किया जाता है। कहा जाता है कि व्रत करने वाली सुहागिनें अथवा कुंवारी कन्याएं इस दिन सुबह-सुबह स्नान करके नए वस्त्र धारण करें। एक लकड़ी के पाटे अथवा पीढ़े पर माता गौरी का ऊंचा सिंहासन बनाकर उसपर लाल अथवा पीला कपड़ा बिछाएं। माँ की एक प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित करके उसे सुंदर रेशमी कपड़े से सजायें। सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा करके प्रार्थना करें कि आपका व्रत निर्विघ्न पूरा हो और सफल हो। माँ के आगे एक आटे का बना हुआ दीपक स्थापित कर उसमें घी का दीप जलाएं। माँ के व्रत का नियमपूर्वक पालन करने के लिए माँ के आगे संकल्प अवश्य लें। माँ को सामर्थ्यानुसार दक्षिणा, फल, माल-फूल, मिष्ठान, भोग, मीठा पान, वस्त्र, हल्दी, 16 शृंगार, गहना इत्यादि अर्पित करें। शृंगार अर्पित करते हुए व्रत धारी को मन ही मन माँ का ध्यान करना चाहिए और अपनी प्रार्थना करनी चाहिए। दिन भर माँ का ध्यान करते हुए व्रती को फलाहार करना चाहिए।

इस व्रत के दौरान जमीन पर ही अपनी शैय्या लगानी चाहिए और पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मंगलागौरी का नियमपूर्वक पालन करने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति और विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है।

(डिस्क्लेमर: आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर यह लेख लिखा गया है, जिसकी पुष्टि न्यूज़ग्राम हिन्दी किसी भी प्रकार से नहीं करता।)

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