इस मंदिर में एक मुस्लिम भक्त बजाते हैं बासुंरी, 300 सालों से चल रहा है ये परंपरा

इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं। यहां उनके बांसुरी चढ़ाने के बाद ही पूजा-पाठ और आरती शुरू होती है।
Gopalganj : कहा जाता है की इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं। (Wikimedia Commons)
Gopalganj : कहा जाता है की इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं। (Wikimedia Commons)

Gopalganj : आय दिन देश में हिंदू - मुस्लिम दंगे होते रहते हैं लेकिन बिहार के गोपालगंज में हिंदू मुस्लिम एकता की अद्भुत झलक दिखती है। यहां के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में हिंदू-मुस्लिम एकता का ऐसा नजारा दिखता है जिसे देखकर भक्त मग्न हो जाते हैं और सारे भेद भाव भूल जाते हैं। दरहसल, इस मंदिर में एक मुस्लिम भक्त कृष्ण की प्रिय बांसुरी बजाता है। ये मुस्लिम भक्त सुबह शाम दोनों वक्त रहता है। इस मुस्लिम भक्त की बांसुरी की धुन पर ही मंदिर में पूजा की जाती है।

गोपालगंज के हथुआ गांव में एक गोपाल मंदिर है। इसी मंदिर में आपको रोज एक मुस्लिम भक्त बैठे दिखाई देंगे और उनके हाथ में बांसुरी होती है। जैसे ही वो बांसुरी की तान छेड़ते हैं। मंदिर में आरती शुरू हो जाती है। ये मुस्लिम भक्त हैं सगीर अंसारी, जो पिछले 9 साल से गोपाल मंदिर में भक्ति ने लीन होकर बांसुरी बजाते आ रहे हैं।

300 सालों से चल रहा है ये परंपरा

हथुआ के इस गोपाल मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह मंदिर हथुआ राज्य से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है की इस मंदिर में 300 साल से मुस्लिम कारीगर बांसुरी चढ़ाते आ रहे हैं। यहां उनके बांसुरी चढ़ाने के बाद ही पूजा-पाठ और आरती शुरू होती है। पूजा शुरू होने से पहले मुस्लिम समुदाय के लोग ही बांसुरी बजाते आ रहे हैं। अपने पुरखों की इसी इसी परंपरा को आज भी ये लोग कायम रखे हुए हैं। वो कहते हैं 300 वर्ष के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुस्लिम कारीगर ने बांसुरी न चढ़ायी हो और बांसुरी ना बजायी हो।

मुस्लिम भक्त  सगीर अंसारी, जो पिछले 9 साल से गोपाल मंदिर में भक्ति ने लीन होकर बांसुरी बजाते आ रहे हैं। (Wikimedia Commons)
मुस्लिम भक्त सगीर अंसारी, जो पिछले 9 साल से गोपाल मंदिर में भक्ति ने लीन होकर बांसुरी बजाते आ रहे हैं। (Wikimedia Commons)

प्रभु की सेवा में लीन हैं सगीर अंसारी

सगीर अंसारी कहते हैं इस मंदिर में बांसुरी बजाकर सुखद अनुभूति होती है। वो केवल बांसुरी बजाने का नहीं बल्कि बांसुरी बनाने का भी काम जानते हैं। वो कहते हैं मजहबी बातों में आने से लोगों को परहेज करना चाहिए। आपसी एकता में ही देश और बिहार की तरक्की संभव है। यहां हिंदू-मुसलमान दोनों मिलकर रहते हैं। इंसान को इंसानयित से बढ़कर और कुछ नही दिखना चाहिए। गोपाल मंदिर के मुख्य पुजारी आशुतोष तिवारी ने बताया सगीर अंसारी 9 साल से यहां बांसुरी बजाने आते हैं। उनके मन में जरा सा भी संकोच नहीं है। वे यहां नि:स्वार्थ भाव से प्रभु की सेवा करते आ रहे हैं।

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