सभी पापियों के पाप धोती हैं मां गंगा

गंगा नदी आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से है वैदिक इतिहास में गंगा नदी का उल्लेख मिलता है। वेद पुराणों और शास्त्रों के अनुसार गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है, और गंगा जल सबसे पवित्र।
Importance of River Ganga:- सभी पापियों के पाप धोती है गंगा[pixabay]
Importance of River Ganga:- सभी पापियों के पाप धोती है गंगा[pixabay]
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Importance of River Ganga:- गंगा नदी में स्नान करने से लोगों को न सिर्फ मां की शांति मिलती है बल्कि उनके सभी पाप भी धुल जाते हैं। जिस प्रकार मां अपने बच्चों के सभी गलतियों को माफ कर देते हैं ठीक उसी प्रकार गंगा को माता का दर्जा प्राप्त है लोग इन्हें गंगा मैया भी कहते हैं क्योंकि यह भी अपने सभी बच्चों के पाप उनके दुष्कर्मों को खुद में समा लेती हैं। गंगा नदी आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से है वैदिक इतिहास में गंगा नदी का उल्लेख मिलता है। वेद पुराणों और शास्त्रों के अनुसार गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ है, और गंगा जल सबसे पवित्र। यहां तक की महाभारत और गीता में भी गंगा नदी का वर्णन मिलता है।

हिन्दू धर्म में गंगा नदी क्यों महत्वपूर्ण है?

गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक विरासत में एक है गंगा न सिर्फ श्रेष्ठ व पवित्र नदी है बल्कि भारत को एक सूत्र में बांधने का श्रेय भी गंगा को है। वेद पुराणों में तो गंगा को बारंबार तीर्थ में कहा गया है। प्रथम वेद ऋग्वेद में गंगा का जिक्र किया गया है इसके बाद के तीन वेद यदु शाम और अथर्व में भी गंगा का उल्लेख पवित्र नदी के रूप में किया गया है। केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में ऐसी कोई भी नदी नहीं है जिसे इतना महत्व और श्रेय मिला हो।

Importance of River Ganga: गंगा के वैज्ञानिक महत्व[pixabay]
Importance of River Ganga: गंगा के वैज्ञानिक महत्व[pixabay]

यही कारण है की गंगा को केवल जल का स्रोत नहीं माना जाता बल्कि देवी के समान इसकी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान जैसे कई कार्य बिना गंगाजल के पूर्ण व शुद्ध नहीं माने जाते। वैज्ञानिकों का मानना है कि गंगाजल में जीवाणु भोजी की उपस्थिति की वजह से गंगाजल में कीड़े पनप नहीं पाते। भारतीय ऋषि मा ऋषियों को गंगा के वैज्ञानिक महत्व व अद्भुत प्राकृतिक संरचना का ज्ञान था और इसी कारण गीत व अन्य शास्त्र पुराणों में गंगा को भारतीय संस्कृति का प्राण बताया गया है।

गंगा से जुड़ी कहानियां वह अवधारणा।

आध्यात्मिक अवधारणा है कि पर ब्रह्म परमात्मा ही गंगाजल के रूप में भारत वर्ष में अवतरित है। जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव शरीर पांच तत्वों से बना है पांच तत्वों में जीवन के विकास के लिए जल एक अनिवार्य तत्व है इसलिए ऋषि मुनियों ने जल की पवित्रता और संरक्षण को अनादि काल से महत्वपूर्ण माना और इसी परंपरा का वृहद रूप है गंगा और गंगाजल।

Importance of River Ganga: परमात्मा ही गंगाजल के रूप में भारत वर्ष में अवतरित है।[pixabay]
Importance of River Ganga: परमात्मा ही गंगाजल के रूप में भारत वर्ष में अवतरित है।[pixabay]

गंगा कैसे अवतरित हुईं?

गंगा अवतरण पर एक कहानी प्रसिद्ध है, एक बार महाराज सागर ने व्यापक यज्ञ किया उसे यज्ञ की रक्षा का भर उनके पुत्र अंशुमान ने संभाला। इंद्र ने सागर के यज्ञ अश्व का अपहरण कर लिया। यह यज्ञ के लिए विघ्न था, परिणाम स्वरुप अंशुमान ने सागर की 60000 प्रजा लेकर अश्व को खोजना शुरू कर दिया। सारा भूमंडल खोज लिया पर अश्व नहीं मिला। फिर अशोक को पाताल लोक में खोजने के लिए पृथ्वी को खोदा गया खुदाई पर उन्होंने देखा कि साक्षात भगवान महर्षि कपिल के रूप में तपस्या कर रहे हैं। उन्हीं के पास महाराज सागर का अश्व घास चर रहा है। प्राजों ने देखकर चोर चोर चिल्लाने लगी और इस तरह महर्षि कपिल की समाधि टूट गई। महर्षि ने अपने अग्नि या नेत्र खोले और सारी प्रजा भस्म हो गए इन मिर्च लोगों के उद्धार के लिए ही महाराज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने कठोर तब किया था।

Importance of River Ganga:गंगा कैसे अवतरित हुईं[pixabay]
Importance of River Ganga:गंगा कैसे अवतरित हुईं[pixabay]

भागीरथ के ताप से प्रसन्न होकर ब्रह्म ने उन्हें वर मांगने को कहा तो भागीरथ ने गंगा की मांग की इस पर ब्रह्म ने कहा राजन तुम गंगा का पृथ्वी पर अवतरण तो चाहते हो परंतु क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है कि वह गंगा के भार तथा वेग को संभाल पाएगी? मेरा विचार है की गंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शंकर में है इसलिए उचित होगा की गंगा का भार एवं वेज संभालने के लिए भगवान शिव का अनुग्रह प्राप्त कर लिया जाए। महाराज भगीरथ ने वैसा ही किया। भागीरथ ने तपस्या की और फिर भगवान शिव ने गंगा की धारा को मुक्त करने का वरदान दिया और इस प्रकार शिवजी की जटाओं से छूटकर गंगा जी हिमालय की घाटियों में कल कल निनाद करके मैदान की ओर मुड़ी।

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