जैन साधु कभी स्नान क्यों नहीं करते, पतले कपड़े में कैसे गुज़ार लेते हैं ये ठंड

दिगंबर साधु तो वस्त्र भी धारण नहीं करते हैं केवल साध्वियां ही एक सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। चाहे कड़ाके की ठंड ही क्यों न हो वे वस्त्र नहीं पहनते हैं।
Jain Monks : श्वेतांबर साधु और साध्वियां शरीर पर केवल एक पतला सा सूती वस्त्र धारण करते हैं । (Wikimedia Commons)
Jain Monks : श्वेतांबर साधु और साध्वियां शरीर पर केवल एक पतला सा सूती वस्त्र धारण करते हैं । (Wikimedia Commons)

Jain Monks : जैन धर्म के लोग सभी नियमों को कड़ाई से पालन करते हैं। उतना दूसरे धर्मों में कम देखने को मिलता है। इस धर्म के मुनि और साध्वी कड़ा जीवन जीते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि दीक्षा लेने के बाद वो कभी नहीं नहाते। जी हां! वे इतने कड़े नियमों का पालन जरूर करते है लेकिन उन्हें नहाने की मनाही है। दरहसल, जैन धर्म में दो पंथ हैं - श्वेतांबर और दिगंबर। दोनों ही पंथों के साधू और साध्वियां ऐसा करते है। वो एक मर्यादित और अनुशासित जीवन जीते हैं, जिसमें वे किसी भी प्रकार के भौतिक और सुविधापूर्ण संसाधनों का प्रयोग नहीं करते।

श्वेतांबर साधु और साध्वियां शरीर पर केवल एक पतला सा सूती वस्त्र धारण करते हैं परंतु दिगंबर साधु तो वस्त्र भी धारण नहीं करते है केवल साध्वियां ही एक सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। चाहे कड़ाके की ठंड ही क्यों न हो वे वस्त्र नहीं पहनते हैं। केवल श्वेतांबर साधु और साध्वियां के साथ रहने वाली 14 चीजों में एक कंबली भी रखती हैं, जो बहुत पतली होती है, इसे वो केवल सोते समय ही ओढ़ सकते हैं।

नहीं नहाने का क्या है कारण?

उनके धर्म में यह माना जाता है कि उनके स्नान करने पर सूक्ष्म जीवों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसी कारण वो नहाते नहीं है और मुंह पर हमेशा कपड़ा लगाए रखते हैं ताकि कोई सूक्ष्म जीव भी मुंह के रास्ते शरीर में न पहुंच पाए। उनके अनुसार स्नान मुख्य तौर पर दो तरह का होता है एक बाहरी और दूसरा आंतरिक।

सामान्य लोग अक्सर पानी से नहाते हैं, लेकिन जैन साधु और साध्वियां आंतरिक स्नान अर्थात मन और विचारों की शुद्धि के साथ ध्यान में बैठकर ही आंतरिक स्नान कर लेते हैं। उनके स्नान का मतलब होता है भावों की शुद्धि। परंतु वे कुछ दिनों के अंतर पर गीला कपड़ा लेकर अपने शऱीर को उससे पोंछ लेते हैं। इससे उनका शरीर तरोताजा और शुद्ध हो जाता है।

साध्वियां ही एक सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। (Wikimedia Commons)
साध्वियां ही एक सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं। (Wikimedia Commons)Claude Renault

नंगी जमीन पर ही सोते हैं ये

सभी साधु और साध्वियां चाहे सभी मौसम में जमीन पर ही सोते हैं, ये जमीन नंगी भी हो सकती है या लकड़ी वाली भी। कोई - कोई सोने के लिए सूखी घास का भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इन साधु और साध्वियों की नींद बहुत कम होती है। जैन भिक्षु सभी तरह के भौतिक संसाधनों का त्याग कर देते हैं और बेहद सादगी के साथ सारा जीवन गुजार देते हैं।

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