इस मंदिर में इंसान से ज्यादा मिलेंगे चूहे, इन चूहों को माना जाता है माता का पुत्र

माता के इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इस मंदिर में आपको इंसानों से ज्यादा चूहे नजर आएंगे। इस मंदिर में लगभग 25 हजार चूहें मौजूद हैं। मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता है
Karni Mata Mandir : यदि किसी भक्त के पैर के ऊपर से चूहा गुजर जाए, तो ये उसपर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। (Wikimedia Commons)
Karni Mata Mandir : यदि किसी भक्त के पैर के ऊपर से चूहा गुजर जाए, तो ये उसपर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। (Wikimedia Commons)
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Karni Mata Mandir : मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है करणी माता। करणी माता ने जन कल्याण के लिए अवतार लिया था। माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं, जो एक तपस्वी का जीवन जीती थीं। राजस्थान के बीकानेर के देशनोक शहर में स्थित लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है। माता के इस मंदिर की एक खास बात यह भी है कि इस मंदिर में आपको इंसानों से ज्यादा चूहे नजर आएंगे। इस मंदिर में लगभग 25 हजार चूहें मौजूद हैं। मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता है, जो मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं।

सफेद चूहों को माना जाता है माता का पुत्र

सभी चूहों में से, सफेद चूहों को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि उन सफेद चूहों को करणी माता के बेटों का अवतार माना जाता है। इसके पीछे एक कथा बहुत प्रचलित है, जिसके अनुसार करणी माता के सौतेले बेटे का नाम लक्ष्मण था। एक दिन सरोवर से पानी पीने की कोशिश करते हुए लक्ष्मण उसमें डूब गया, जिस कारण उसकी मृत्यु हो गई। इससे दुखी होकर करणी माता ने यम देवता से प्रार्थना किया और कहा कि वह उनके पुत्र को पुनः जीवित कर दें। तब यमराज उनकी विनती मान कर न केवल लक्ष्मण बल्कि करणी माता के सभी बच्चों को चूहों के रूप में पुनः जीवित देते हैं। इसलिए इन चूहों को करणी माता की संतान या वंशज के रूप में देखा जाता है।

इस मंदिर में लगभग 25 हजार चूहें मौजूद हैं। मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता । (Wikimedia Commons)
इस मंदिर में लगभग 25 हजार चूहें मौजूद हैं। मंदिर में मौजूद इन चूहों को काबा भी कहा जाता । (Wikimedia Commons)

चूहों को लगाया जाता है भोग

दर्शन के लिए मंदिर में माता के भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी भक्त के पैर के ऊपर से चूहा गुजर जाए, तो ये उसपर माता की कृपा का संकेत माना जाता है। लेकिन यदि कोई चूहा गलती से किसी व्यक्ति के पांव के नीचे आ जाता है, तो इसे पाप समझा जाता है, इसलिए लोग यहां पैर घसीटकर चलते हैं। इन चूहों को भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

किसने करवाया माता के मंदिर का निर्माण

करणी माता मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 20वी शताब्दी में करवाया था। मंदिर पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ है। इसके मुख्य दरवाजे चांदी से बने हुए हैं। माता की मूर्ति में उन्होंने एक हाथ में त्रिशूल पकड़ा हुआ है, इसके साथ ही वह मुकुट और मालाओं से भी सुसज्जित हैं। माता की मूर्ति पर एक सोने का छत्र भी स्थापित है। खास बात यह है कि देवी की मूर्ति के साथ दोनों ओर उनकी बहनों की मूर्तियां भी हैं।

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