

देश के दो अलग-अलग राज्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) की बहुत ही चर्चित खबरें सामने आई हैं। इस खबर में चौकाने वाली बात यह है की कुल छह लोगों ने इस्लाम धर्म को छोड़कर सनातन (Sanatan) धर्म को अपनाया है। यह दोनों घटनाएं अलग-अलग जगहों से हैं, इन सभी लोगों का कहना है कि उन्हें सनातन संस्कृति, परंपराओं और वैदिक जीवनशैली से बहुत ही गहरा जुड़ाव महसूस होता हैं।
मध्य प्रदेश के खंडवा (Khandwa) ज़िले में एक महिला और उसके तीन बेटों ने इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन (Sanatan) धर्म अपना लिया। यह 'घर वापसी' महादेवगढ़ में पूरी विधि-विधान के साथ संपन्न किया गया, जिसमें की वहां के स्थानीय पंडितों ने वैदिक प्रायश्चित संस्कार भी कराया। आपको बता दें हसीना बी नाम की महिला ने अपने तीन बेटों के साथ धर्म परिवर्तन किया, जिनका नाम है फ़रीद, असलम और रसिब। जब इनका अनुष्ठान किया गया उस दौरान ही इनके नए नाम भी रखे गए।आपको बता दें हसीना बी का नाम बदलकर रुक्मणी रखा गया, फ़रीद का नया नाम अक्षय रखा गया, और असलम का नाम अजय रखा गया, उसके बाद रसिब का नाम राजकुमार रखा गया।
उसके बाद पूरे परिवार ने विधिवत पूजा, हवन और भगवान शिव की महाआरती में हिस्सा लिया। इस मौके पर महादेवगढ़ के संरक्षक अशोक पालीवाल ने बताया कि साल 2025 में अब तक 12 से अधिक लोग घर वापसी (Homecoming) कर चुके हैं। उनके अनुसार लोगों में यह भावना काफी समय से है कि उनके पूर्वज कभी सनातन धर्म का पालन करते थे, और अब वो उसी पहचान को वापस अपनाना चाहते हैं।
परिवार के करीबी लोगों ने बताया कि रुक्मणी (हसीना बी) और उनके बच्चों को बचपन से ही हिंदू परंपराओं और त्योहारों में बहुत अधिक रुचि थी। अक्सर यह परिवार अपने आस-पास होने वाले धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लिया करते थे। धीरे-धीरे इनके मन में सनातन (Sanatan) संस्कृति के प्रति सम्मान और लगाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने इसे जीवन भर के लिए अपनाने का निर्णय ले लिया। आपको बता दें महादेवगढ़ में हुए इस आयोजन की तस्वीरें सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी इस परिवार की 'घर वापसी' एक बहुत ही चर्चा का विषय बन गया।
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या (Ayodhya) में भी दो मुस्लिम युवकों ने सनातन (Sanatan) धर्म को पूरी श्रद्धा से अपनाने का फैसला कर लिया। इसमें सबसे खास बात यह है कि दोनों युवकों ने धर्म परिवर्तन की सूचना जिला प्रशासन को लिखित पत्र के रूप में दी है, जिसमें की उन्होंने यह अनुरोध किया है कि आगे उन्हें उनके नए हिंदू नामों से ही पहचान दी जाए। आपको बता दें ये दोनों युवक अयोध्या (Ayodhya) जिले के सोहावल तहसील क्षेत्र के रहने वाले हैं। मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी के पुत्र अरशद ने नया नाम राकेश मौर्य रखा है और उस्मान के पुत्र मोनू ने अपना नया नाम मनीष चुना है। दोनों युवकों ने बताया कि वो लंबे समय से हिंदू दोस्तों के बीच उठते-बैठते थे और सभी हिंदू त्योहारों में शामिल भी होते थे। धीरे-धीरे उन्हें सनातनी संस्कृति, पूजा-पद्धति और परंपराओं से गहरा लगाव हो गया। उनका कहना है की वो प्रतिदिन मंदिर जाते थे और धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा भी लेते थे।
जब दोनों युवकों से धर्म परिवर्तन का कारण पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्हें सनातन धर्म की जीवन शैली बेहद सरल, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक लगती है। उनका कहना था कि उन्हें हिंदू संस्कृति में बहुत अपनापन लगता है। वो हिंदू भाइयों के साथ मिलकर सभी त्योहार भी मनाते रहे हैं, और उन्हें पूजा-पाठ और वैदिक परंपराएँ बहुत ही पसंद हैं। उनका कहना है की उन्हें इस संस्कृति में मानसिक शांति और सकारात्मकता मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि अब वो अपना बचा हुआ जीवन सनातन धर्म के अनुसार ही बिताना चाहते हैं और इसी वजह से प्रशासन को पत्र देकर नया नाम अपनाने की जानकारी दी है।
दोनों युवकों ने बताया कि वो रोज़ाना प्रेमानंद महाराज के प्रवचन सुनते थे, जिनसे उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक बदलाव महसूस होता था। उनके जीवन के कई निर्णय उन्हीं प्रवचनों से प्रभावित होकर बदले हैं, इन्हीं सकारात्मकता के बाद उन्होंने अंततः सनातन धर्म अपनाने का निर्णय ले लिया। भरत हनुमान मिलन मंदिर में इनका धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। आपको बता दें मंदिर प्रबंधन ने उनकी पूरी 'घर वापसी' (Homecoming) की जिम्मेदारी ली, और उन्हें भगवा वस्त्र पहनाए गए, धार्मिक पुस्तकें दी गईं और मंदिर परिसर में वैदिक विधि से अनुष्ठान करवाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में महंत परमात्मा दास और बजरंग दल मंत्री लालजी शर्मा मौजूद थे।
दोनों युवकों ने प्रशासन को यह भी बताया कि अब उनकी अपने पुराने परिवार से कोई संबंध नहीं है। उनका कहना है की वो पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ हिंदू धर्म की परंपराओं का पालन करेंगे और नया जीवन सनातन (Sanatan) मार्ग पर चलकर बिताएँगे। खंडवा और अयोध्या की ये दोनों घटनाएँ सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत आस्था का फैसला मान रहे हैं, तो कुछ इसे सांस्कृतिक आकर्षण का परिणाम बता रहे हैं। दोनों जगह हुए अनुष्ठानों की तस्वीरें भी तेजी से वायरल हो रही हैं। [Rh/PS]