न्यूज़ग्राम हिंदी: देवों के देव महादेव की कृपा जिसपर पड़ती है स्वयं महादेव उसके सारे कष्ट हर लेते हैं। इनकी कृपा के आगे कोई भी शक्ति काम नहीं आती है। कहते हैं कि जिसने महादेव को प्रसन्न कर लिया उसे मृत्यु भी नहीं छू सकती। ऐसा ही एक मंदिर है मार्कण्डेय महादेव, जहां से स्वयं भगवान यम को खाली हाथ लौटना पड़ा था। आइए जानते हैं उसी स्थल के बारे में जहां ये अद्भुत घटना घटी और उस स्थान पर बन गया मार्कण्डेय महादेव का मंदिर
वाराणसी से 30 km दूर एक छोटे से गांव कैथी में स्थित मार्कण्डेय महादेव मंदिर है। कहते हैं कि इस मंदिर में राम नाम लिखकर बेल पत्र और जल चढ़ाने से भक्तों के कष्टों का निवारण हो जाता है। ऐसा सावन के महीने, त्रयोदशी, और सोमवार को करना अधिक फलदाई है।
आइए जानते हैं मार्कण्डेय महादेव की कहानी जिसका वर्णन शिव पुराण में मिलता है। ऋषि मृकण्ड और उनकी पत्नी को कोई संतान नहीं थी, संतान की प्राप्ति के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें महादेव का तप करने को कहा। घोर तपस्या के बाद महादेव की कृपा उनपर पड़ी और महादेव ने ऋषि और उनकी पत्नी को पुत्र होने का वरदान दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह संतान केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। इसके बाद दोनों को मार्कण्डेय नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। अल्पायु में ही मार्कण्डेय को अपने मृत्यु के बारे में पता चल गया और उसने महादेव का ध्यान करना शुरू कर दिया। समय बीतता गया और 12 वर्ष पूरे होने पर मृत्यु के देवता यम उन्हें लेने आए। मार्कण्डेय की रक्षा के लिए स्वयं महादेव यम से भिड़ गए जिसके चलते यम को खाली हाथ लौटना पड़ा और इसके साथ ही महादेव ने मार्कण्डेय को दिर्गायु होने का आशीर्वाद दिया।
एक कथा यह भी है कि राजा दशरथ ने पुत्र पाने के लिए इसी स्थान पर यज्ञ कराया था। इसके साथ ही महाराज दशरथ के पूर्वज राजा रघु ने भी उत्तराधिकारी की प्राप्त हेतू यहीं पर यज्ञ कराया। ऐसा माना जाता है कि यहां संतान की प्राप्ति के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
मार्कण्डेय महादेव में सावन और शिवरात्रि के दिन लगने वाले विशेष मेले में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। आसपास के गांवों से लोग यहां आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए जल और बेल पत्र चढ़ाते हैं। शिव को प्रसन्न कर भक्त अपने कष्टों से मुक्त होते और लंबी उम्र का आशीर्वाद पाते हैं।
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