Krishna Pingala Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में हर साल आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही गणपति बाप्पा के निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य से भक्त के आय, सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही साथ सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके लिए भक्त श्रद्धा भाव से कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त एवं शुभ योग।
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 जून को रात 01 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 25 जून को ही रात 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से तिथि से गणना की जाती है। इसी कारण 25 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन भक्त भगवान गणेश के निमित्त व्रत रख भगवान की पूजा-उपासना कर सकते हैं। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्र दर्शन का शुभ समय 10 बजकर 27 मिनट पर है।
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन देवों के देव महादेव रात 11 बजकर 10 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर विराजमान रहेंगे। भगवान शिव के कैलाश और नंदी पर आरूढ़ रहने के दौरान शिवजी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। अब एक चौकी पर लाल लपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान करें। उन्हें दूर्वा घास और तिलक अर्पित करें। इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं और आरती करें। मंत्रों का जप और गणेश चालीसा का पाठ करें। गणेश जी को मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं। इससे जीवन में सुख-शांति आती है। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करें।