जानिए इस साल कब मनाई जाएगी संक्रांति, 77 साल बाद बनेगा वरीयान योग

इस दुर्लभ योग में मकर संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाएगा। वहीं पांच वर्ष के अंतराल पर मकर संक्रांति का पर्व सोमवार को पड़ेगा।
Makar Sankranti 2024 : इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व दो विशेष योग में मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विधान है। (Wikimedia Commons)
Makar Sankranti 2024 : इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व दो विशेष योग में मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विधान है। (Wikimedia Commons)
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Makar Sankranti 2024 : मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। बिहार में यह पर्व 'तिला संक्रांत' नाम से भी प्रसिद्ध है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं।

इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व दो विशेष योग में मनाया जाएगा। 15 जनवरी को रवि एवं वरीयान योग बन रहे हैं। इस दिन वरीयान योग 77 वर्ष बाद बनेगा। इस दुर्लभ योग में मकर संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाएगा। वहीं पांच वर्ष के अंतराल पर मकर संक्रांति का पर्व सोमवार को पड़ेगा। पंडित विकास के अनुसार इस दिन सूर्य देव के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विधान है। रवि और वरीयान योग समृद्धि दायक के साथ ही साथ यशदायक भी है।

रवि योग में पूजा-अर्चना और दान से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।  (Wikimedia Commons)
रवि योग में पूजा-अर्चना और दान से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। (Wikimedia Commons)

कब है शुभ मुहूर्त ?

14 जनवरी को सूर्य, रात 244 बजे धनु राशि से मकर राशि में गोचर करेंगे। 15 जनवरी को वरीयान योग सूर्योदय से रात्रि 11:11 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 07:15 बजे से सुबह 08:07 बजे तक रहेगा। इस योग में पूजा-अर्चना और दान से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। बव करण दोपहर 03:35 मिनट तक है। उसके बाद बालव है। इन दोनों को शुभ माना गया है।

मकर संक्रांति के बाद ही शादी-विवाह में शुभ मुहूर्त देखना अनिवार्य माना जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे।

तिल-गुड़ का सेवन जरूर करें। (Wikimedia Commons)
तिल-गुड़ का सेवन जरूर करें। (Wikimedia Commons)

क्या करें इस दिन?

मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व बताया गया है। स्नान आदि कर तांबे के लोटे में गंगाजल में लाल फूल, लाल चंदन, तिल डालकर 'ऊं घृणि सूर्याय नम' का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। उसके बाद गरीबों या जरूरतमंदों को काले तिल और गुड़ से बनी चीजें, ऊनी कपड़े, कंबल और खिचड़ी दान करें। इससे आप पर सूर्य और शनि दोनों की कृपा होगी। तिल-गुड़ का सेवन जरूर करें। माना जाता है की ऐसा करने से आपके जीवन में भगवान सूर्य और शनिदेव दोनों का आशीर्वाद मिलेगा। यदि गंगा स्नान न कर सकें तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।

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