न्यूजग्राम हिंदी: यशोदा के नंदलाल, माखन चोर, रासरसैया जैसे नामों से पुकारे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की लीलाओं से आप सभी अवगत हैं। भगवान श्री कृष्ण के भक्त सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि देश विदेश में देखने को मिल जाएंगे। देश विदेश में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड (Uttarakhand) में भी कृष्ण का एक मंदिर है। इस मंदिर का नाम डांडा नागराजा (Danda Nagraja) है। आज के इस लेख में हम आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताएंगे।
यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह मंदिर इतिहास की गाथा कहता है। पौड़ी (Pauri) जिले में स्थित यह मंदिर अपनी कई तरह की कथा और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटकों के लिए यह मंदिर हमेशा आकर्षण का एक विषय रहा है। पौड़ी से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर की कई खासियत हैं। पूरे क्षेत्र में भगवान कृष्ण के अवतार नागराज मंदिर की बहुत मान्यता है।
बता दे कि नागराजा का मुख्य स्थान उत्तरकाशी के सेममुखेम में है। लेकिन उत्तरकाशी (Uttarkashi) और पौड़ी का मंदिर दोनों ही समान हैं।
मंदिर के नाम के पीछे की कहानी:
ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण जी को यह जगह बहुत पसंद आई थी, इसीलिए उन्होंने यहां पर नाग का रूप धारण कर रेंग–रेंगकर इस स्थान की परिक्रमा की। उसी समय से इस मंदिर को डांडा नागराजा कहा जाने लगा।
ऊंचाई पर स्थित मंदिर:
इस मंदिर के आसपास आपको पहाड़ी क्षेत्रों की शान कहे जाने वाले काफल, बुरांश और हीसर पर्याप्त मात्रा में मिल जाएंगे। यह मंदिर इतनी ऊंचाई पर स्थित है कि आप भैरवगढ़ी(कीर्तिखाल), महाबगढ़(यमकेश्वर), कंडोलिया और टिहरी का चंद्रबदनी मंदिर आराम से बिलकुल साफ देख पाएंगे। इस स्थान के मूल निवासियों के अनुसार यह मंदिर 140 वर्ष से अधिक पुराना है।
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