नर्मदा नदी गंगा से भी है पवित्र, जानें नर्मदा नदी से जुड़ी कुछ रोचक बातें

नर्मदा को सबसे पवित्र माना जाता है। इस नदी के हर कंकड़ को भगवान शिव के समान माना गया है जिसे नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
Narmada :इस नदी के हर कंकड़ को भगवान शिव के समान माना गया है जिसे नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।(Wikimedia Commons)
Narmada :इस नदी के हर कंकड़ को भगवान शिव के समान माना गया है जिसे नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।(Wikimedia Commons)

Narmada : हिंदू धर्म के सभी पवित्र तीर्थ क्षेत्र किसी न किसी नदी के तट पर बसे हैं। भारत की कुल प्रमुख पवित्र नदियों की बात करे तो इनकी संख्या 12 हैं जिनमें गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, क्षिप्रा, गोदावरी, महानदी, वितस्ता और ब्रह्म पुत्र नदिया है। इसमें नर्मदा को सबसे पवित्र माना जाता है। इस नदी के हर कंकड़ को भगवान शिव के समान माना गया है जिसे नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं में नर्मदा को लेकर ऐसी रोचक बातें है जिसे जानकर आप भी हैरान होंगे।

शिव का मिला वरदान

पौराणिक कथाओं के अनुसार नर्मदा ने कई हजारों साल तक भगवान शिव की तपस्या की और उन्हें कई वरदान भी मिले। इसमें प्रलय में भी उनके अविनाशी रहने सहित नर्मदा में पाए जाने वाले पाषाणों के शिवलिंग होने का वरदान शामिल है। नर्मदा को अपने तट पर भगवान शिव और माता पार्वती सहित सभी देवताओं के वास करने का भी वरदान हासिल है। पद्म पुराण में भी नर्मदा की महिमा का वर्णन है।

पुण्या कनखले गंगा, कुरुक्षेत्रे सरस्वती

ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा

अर्थात 'कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है और कुरुक्षेत्र में सरस्वती। गांव हो चाहे वन, नर्मदा सर्वत्र पवित्र है।' और कहा गया है- 'यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है।'

नर्मदा को अपने तट पर भगवान शिव और माता पार्वती सहित सभी देवताओं के वास करने का भी वरदान हासिल है।(Wikimedia Commons)
नर्मदा को अपने तट पर भगवान शिव और माता पार्वती सहित सभी देवताओं के वास करने का भी वरदान हासिल है।(Wikimedia Commons)

उल्टी दिशा में बहती है नर्मदा नदी

भारत की ज्यादातर नदियां एक ही दिशा पश्चिम से पूरब की ओर बहती हैं। इसमें गंगा से लेकर यमुना और गोदावरी जैसी बड़ी नदियां भी शामिल हैं। लेकिन नर्मदा पश्चिम से पूरब की ओर नहीं बल्कि उल्टी दिशा यानी पूरब से पश्चिम की ओर से बहती है।प्राचीन धर्म ग्रंथों में नर्मदा को ही रेवा भी कहा गया है।गंगा सहित कई नदियां जहां पश्चिम से पूर्व की ओर जाते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं वहीं, नर्मदा अरब सागर में जाकर मिलती है।

क्यों बहती है उल्टी दिशा में?

नर्मदा के बारे में ऐसी मान्यता है वे राजा मैखल की पुत्री थीं। उनका विवाह राजकुमार सोनभद्र से तय हुआ था। विवाह तय होने के बाद नर्मदा को सोनभद्र कैसे दिखते है ये जानने की इच्छा हुई। इसके लिए वे अपनी दासी को भेजी लेकिन वह और सोनभद्र प्रेम में पड़ गए। इस धोखे से नर्मदा इतनी आहत हुईं कि उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला कर लिया और मुंह मोड़ कर उल्टी दिशा में चल पड़ी।

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