
इस दिन भक्त कन्या पूजन करते हैं, जिसमें छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा जाता है। यह परंपरा धार्मिक आस्था का हिस्सा है।
महानवमी (Mahanavami) के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं को आमंत्रित कर उनके पैर धोना, तिलक लगाना और उन्हें भोग लगाना बेहद शुभ होता है। इस दिन कन्याओं को लाल चुनरी, फल, मेहंदी और अन्य उपहार भी दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से माता दुर्गा की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
इस बार महानवमी की तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7 बजे तक रहेगी। इसके अनुसार कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त दिन के लगभग मध्याह्न से शुरू होकर शाम तक माना गया है। इस समय अवधि में पूजन करना सबसे उत्तम होता है।
धार्मिक मान्यताओं (Religious Beliefs) के अनुसार, इस मुहूर्त में पूजा-अर्चना करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कन्या पूजन के दौरान घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजन में हलवा, पूरी और चने का भोग लगाना पुण्यकारी माना जाता है। इस दौरान कोई भी नेगेटिव भावना जैसे गुस्सा, झगड़ा या नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए। इस दिन मन को शुद्ध रखकर, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करनी चाहिए।
महानवमी न केवल नवरात्रि का अंतिम, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। यह मां दुर्गा के महिषासुर वध का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिससे बुराई का अंत और अच्छाई का उदय हुआ। इसलिए इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। देश भर के मंदिरों और घरों में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही हवन और कन्या पूजन जैसे अनुष्ठान भी होते हैं, जो नवरात्रि व्रत को पूर्णता प्रदान करते हैं।
नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत और पूजा में कन्या पूजन एक ऐसा अनुष्ठान है जो भक्तों को मां दुर्गा की शक्तियों से जोड़ता है।
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