नवरात्रि में कन्याओं के साथ बटुक की भी होती है पूजा, कन्या पूजन में इन बातों का रखे विशेष ध्यान

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन का विधान है। नवरात्रि के अंतिम दिन हवन आदि करने के बाद कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो चुका है और 17 अप्रैल को इसका समापन हो जाएगा
Navratri Maha Ashtami:कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक कन्याओं का विशेष महत्व बताया गया है। (Wikimedia Commons)
Navratri Maha Ashtami:कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक कन्याओं का विशेष महत्व बताया गया है। (Wikimedia Commons)

Navratri Maha Ashtami: नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। सनातन धर्म के अनुसार, नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन का विधान है। नवरात्रि के अंतिम दिन हवन आदि करने के बाद कन्या पूजन किया जाता है। इस बार नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो चुका है और 17 अप्रैल को इसका समापन हो जाएगा, ऐसे में आइए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी और नवमी किस दिन मनाई जाएगी।

कब है चैत्र महाअष्टमी

नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है। इस वर्ष नवरात्री की अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अप्रैल को दोपहर में 12 बजकर 12 मिनट से होगा और इसका समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदया तिथि में अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को होने के कारण महाअष्टमी, कन्या पूजन 16 अप्रैल को किया जाएगा, तथा नवमी तिथि 17 अप्रैल को है।

कन्याओं के साथ बटुक की भी करें पूजा

कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक कन्याओं का विशेष महत्व बताया गया है। दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को माता कालिका, सात वर्ष की कन्या को चंडिका, आठ वर्ष की कन्या को शांभवी और नौ वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा और दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा जाता है।

9 कन्याओं के साथ एक बालक की पूजा करना जरूरी माना गया है(Wikimedia Commons)
9 कन्याओं के साथ एक बालक की पूजा करना जरूरी माना गया है(Wikimedia Commons)

सभी कन्याओं का होना ऊ का प्रतीक माना जाता है। 9 कन्याओं के साथ एक बालक की पूजा करना जरूरी माना गया है और पूजा में बैठे बालक को बटुक भैरव का रूप माना जाता है। बिना भैरव नाथ के दर्शन किए देवी मां के दर्शन पूर्ण नहीं माना जाता है इसलिए कन्या पूजन में एक बटुक का साथ होना बेहद जरूरी है।

कन्या पूजन में रखें इन बातों का ध्यान

कन्या पूजन करने से एक दिन पहले कन्याओं को आमंत्रण जरुर दें। इसके साथ ही कन्या पूजन से पहले घर की अच्छे से साफ सफाई जरूर करें। जब कन्याएं घर पर आएं तो सबसे पहले उनके पैर दूध अथवा जल से धौएं। इसके बाद उन्हें कुमकुम का टीका लगाएं और उन्हें पूर्व दिशा की तरफ मुख करके उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं।

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