आने वाला है ज्येष्ठ पूर्णिमा, इस दिन अवश्य करें लक्ष्मी नारायण की पूजा

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण की साथ में पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु भगवान को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र चढ़ाने चाहिए और लक्ष्मी माता को गुलाबी या लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए।
Purnima 2024 : पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद ही शुभ माना जाता है। (Wikimedia Commons)
Purnima 2024 : पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद ही शुभ माना जाता है। (Wikimedia Commons)

Purnima 2024 : हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की आराधना की जाएगी। पुराणों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद ही शुभ माना जाता है। पुर्णिमा तिथि को लेकर ऐसी मान्यता है कि जून महीने की पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की एक साथ पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि।

कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा

शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही जून की पूर्णिमा पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 21 जून शुक्रवार के दिन सुबह 07 बजकर 31 मिनट से होगी, जो शनिवार, 22 जून के दिन सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रहने वाली है। उदयातिथि होने के कारण ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मान्य होगी और इसी दिन पूर्णिमा व्रत और दान-स्नान किया जाएगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है जिससे शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं  (Wikimedia Commons)
वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है जिससे शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं (Wikimedia Commons)

क्या है पूजा-विधि

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु भगवान को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र चढ़ाने चाहिए और लक्ष्मी माता को गुलाबी या लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए। इस दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ना पुण्यदायक माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो इस दिन नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर घर में ही स्नान करें। आपको बता दें ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखने और इस दिन लक्ष्मी नारायण की विधिवत पूजा करने से घर में सुख-संपत्ति और खुशहाली बनी रहती है।

क्रियाशील हो जाते हैं न्यूरॉन सेल्स

चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मनुष्य के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है जिससे शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है।

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