ठंड में पहनाए जाते है भगवान को ऊनी कपड़े, जाने इस अनोखे मंदिर के बारे में

यह राधा वल्लभ मंदिर 200 साल पुराना है। कहा जाता है की भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की यह प्रतिमा यमुना जी से प्रकट हुई है।
Radhavallabh Mandir - मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में मंदिर पुजारी की ओर से भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को ऊन के वस्त्र पहनाए जाते है। (Wikimedia Commons)
Radhavallabh Mandir - मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में मंदिर पुजारी की ओर से भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को ऊन के वस्त्र पहनाए जाते है। (Wikimedia Commons)

Radhavallabh Mandir - ठंड का मौसम आते ही लोग गर्म कपड़े पहनने शुरू कर देते है, ऐसे में लोग खुद के साथ- साथ कई भक्त तो भगवान को भी ठंड में ठंड ना लग जाए इसके लिए उन्हें भी गर्म कपड़े पहनाते है। जी हां! अक्सर जिनके घर पर लड्डू गोपाल जी है वे तो ऐसा करते ही है परंतु क्या आपको पता है मंदिरों में भी भगवान को ऊनी कपड़े पहनाया जाता है? दरहसल, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में मंदिर पुजारी की ओर से भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को ऊन के वस्त्र पहनाए जाते है।

मंदिर के पुजारी शैलेंद्र मुखिया बताया की तो उन्होंने कहा कि पोश महीने में एक माह तक खिचड़ी महोत्सव राधावल्लभ मंदिर में मनाया जाता है। यहां पर ठंड का मौसम शुरू होने से भगवान को ऊनी कपड़े पहनाए जाते है ताकि किसी प्रकार से कोई ठंड ना लगे। यह खिचड़ी महोत्सव बुरहानपुर जिले में एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर यह उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान को शाम के समय गर्म खिचड़ी का भोग लगाया जाता हैं।

 इस उत्सव में भगवान को शाम के समय गर्म खिचड़ी का भोग लगाया जाता हैं।  (Wikimedia Commons)
इस उत्सव में भगवान को शाम के समय गर्म खिचड़ी का भोग लगाया जाता हैं। (Wikimedia Commons)

200 साल पुराना है यह मंदिर

यह राधा वल्लभ मंदिर 200 साल पुराना है। कहा जाता है की भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी की यह प्रतिमा यमुना जी से प्रकट हुई है। जिसकी इस मंदिर में स्थापना की गई है। इस मंदिर पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी और खिचड़ी महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह उत्सव पिछले 50 वर्षों से मनाया जा रहा है।

इस मंदिर पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी और खिचड़ी महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  (Wikimedia Commons)
इस मंदिर पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी और खिचड़ी महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। (Wikimedia Commons)

कैसे मनाया जाता है जन्माष्टमी ?

बच्चों को छोटे-छोटे राधा-कृष्ण के रूप में तैयार किया जाता है और भक्त भी पारंपरिक पोशाक के साथ जन्माष्टमी आश्रम के लिए इकट्ठा होते हैं। फिर बाल-कृष्ण का जल और दूध से अभिषेक किया जाता है, नए कपड़े पहने जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। त्योहार के दिन, भगवान को फूल चढ़ाए जाते हैं, गहनों से सजाया जाता है, कोठरियों और घरों में रोशनी की जाती है, भगवान कृष्ण को भोग लगाने के बाद सभी भक्तों के बीच चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही वे नृत्य, भजन, रास-लीला आदि उत्सवों का आनंद लेते हैं।

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