काशी में शारदीय नवरात्र की धूम, बड़ी संख्या में भक्तों ने की मां कात्यायनी की पूजा

वाराणसी, धर्म की नगरी काशी में शारदीय नवरात्र की भव्यता अपने चरम पर है। सिंधिया घाट पर स्थित प्राचीन कात्यायनी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। मंगला आरती के बाद से मंदिर परिसर और आसपास की तंग गलियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। भक्त माता के दर्शन कर स्वयं को धन्य मान रहे हैं। मान्यता है कि माता कात्यायनी के दर्शन मात्र से भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है, विशेषकर कुंवारी कन्याओं की विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें मनचाहा वर मिलता है।
धर्म की नगरी काशी में शारदीय नवरात्र की भव्यता अपने चरम पर है।
धर्म की नगरी काशी में शारदीय नवरात्र की भव्यता अपने चरम पर है।IANS
Published on
Updated on
2 min read

कात्यायनी मंदिर (Katyayani Temple) , आत्मविश्वास महादेव मंदिर परिसर में स्थित है और इसे काशी का एकमात्र कात्यायनी मंदिर माना जाता है। मंदिर के महंत कुलदीप मिश्रा बताते हैं, "नवरात्र के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा होती है। यह मंदिर प्राचीन है और इसका विशेष महत्व है। कुंवारी कन्याएं, जिनके विवाह में रुकावटें आ रही हैं, वह माता को दही, हल्दी, पीला वस्त्र और पीला पेड़ा चढ़ाती हैं। परंपरा है कि सात मंगलवार तक यह पूजा करने से विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं और शीघ्र कल्याण होता है।"

विकास दीक्षित के अनुसार, नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा की नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व है। वे कहते हैं, "प्रथम दिन शैलपुत्री, द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी, तृतीय दिन चंद्रघंटा, चतुर्थ दिन कूष्मांडा, पंचम दिन स्कंदमाता और षष्ठी को माता कात्यायनी की पूजा होती है। माता कात्यायनी को पहले संकटा माता के नाम से भी जाना जाता था। पौराणिक कथा के अनुसार, जब युधिष्ठिर संकट में थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें माता की पूजा करने की सलाह दी थी। माता की कृपा से उनकी समस्याएं हल हुईं और वे विजयी हुए।"

वह आगे बताते हैं कि हम लोग नौ दिन के रूप में नहीं गिनते हैं। दिन में भी कहेंगे कि आज नवरात्रि (Navratri) है। तो रात्रि संसार में होती है। उसमें सिर्फ शिवरात्रि, नवरात्रि, होली और दीपावली इन चारों का वर्णन सप्तशती में है।

इस बार नवरात्र 11 दिन तक चल रहा है, जिससे भक्तों का उत्साह और भी बढ़ गया है।

भक्त दक्षणा कहती हैं, "हम पूरे नवरात्र मंदिर में सुबह की आरती में शामिल होते हैं। माता संकटा मैया जीवन के सारे संकट काटती हैं। नवरात्र के नौ दिन माता की पूजा का विशेष महत्व है।"

वहीं, भक्त नुपुर ने बताया, "हम माता की विधि-विधान से पूजा करते हैं, श्रृंगार करते हैं और भजन गाते हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। हम नौ दिन तक माता के दर्शन करने आते हैं।"

[SS]

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com