बन रहा है अद्भुत संयोग, एक ही दिन में है महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत

यह फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत किसी भी माह के त्रयोदशी तिथि को रखते हैं, जबकि महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है
Shukra Pradosh Vrat 2024: इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन ही शुक्र प्रदोष व्रत भी है। शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का भी संयोग बन रहा हैं। (Wikimedia Commmons)
Shukra Pradosh Vrat 2024: इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन ही शुक्र प्रदोष व्रत भी है। शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का भी संयोग बन रहा हैं। (Wikimedia Commmons)

Shukra Pradosh Vrat 2024: इस वर्ष महाशिवरात्रि के दिन ही शुक्र प्रदोष व्रत भी है। शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और शिव योग का भी संयोग बन रहा हैं। यह फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत किसी भी माह के त्रयोदशी तिथि को रखते हैं, जबकि महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है लेकिन इस बार फाल्गुन की त्रयोदशी तिथि और महाशिवरात्रि एक ही दिन है। आपको बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा उस दिन सूर्यास्त के बाद करते हैं।

कब है शुक्र प्रदोष व्रत

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 08 मार्च के दिन 01:19 मध्य रात्रि से शुरू हो जाएगी और यह उस दिन रात 09 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। इसके बाद महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। प्रदोष काल के पूजा मुहूर्त के आधार पर मार्च का प्रदोष व्रत 8 मार्च शुक्रवार को है। शुक्रवार होने के कारण यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाता है।

शुक्र प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त

आपको बता दें कि 8 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 52 मिनट तक है। उस दिन आपको शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए सवा दो घंटे से अधिक का समय मिलेगा।

 इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।(Wikimedia Commons)
इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।(Wikimedia Commons)

महाशिवरात्रि का मुहूर्त

महाशिवरात्रि भी 8 मार्च को 12:07 मध्य रात्रि से 12:56 तक है। इस दिन जो लोग 8 मार्च को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करेंगे, उन्हें प्रदोष और महाशिवरात्रि दोनों का पुण्य फल प्राप्त होगा। परंतु प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में ही करनी चाहिए।

क्या है शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

शुक्रवार के दिन पड़ने वाले इस व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य की प्राप्त होती है। वहीं प्रदोष व्रत सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शान्ति देने वाला होता है। जिनके वैवाहिक जीवन में सुख शांति का अभाव है वे जरूर इस व्रत को करें।

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