Chhattisgarh में है सीता की रसोई, जहां वनवास के दौरान श्रीराम की गृहस्थी बसी

राज्य सरकार ने रामवनगमन पर्यटन परिपथ बनाने की पहल की, ताकि यहां आने वाले स्थानीय श्रद्धालुओं को भी जरूरी सुविधा मिल सके और देश-विदेश में बसे रामभक्त यहां तक पहुंचे।
Chhattisgarh में है सीता की रसोई, जहां वनवास के दौरान श्रीराम की गृहस्थी बसी(IANS)

Chhattisgarh में है सीता की रसोई, जहां वनवास के दौरान श्रीराम की गृहस्थी बसी

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रामवनगमन पर्यटन परिपथ बनाने की पहल

न्यूजग्राम हिंदी: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में है सीता की रसोई (Sita Ki Rasoi)। यह वह स्थान है, जो मवई नदी के किनारे स्थित और दण्डकारण्य का प्रारंभिक स्थल है, जहां से वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम (Lord Rama) का आगमन छत्तीसगढ़ की धरती पर हुआ था। यह मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित सीतामढ़ी हरचौका में है। उपलब्ध साक्ष्य के मुताबिक, वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम और सीता के कदम छत्तीसगढ़ में पड़े थे और यह भूमि पुण्यभूमि हो गई। मवई नदी ने सीता के पैर पखारे। वनवास के दौरान अपना आरंभिक समय श्रीराम ने यहीं बिताया और पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण ने उनका साथ निभाया। सीता ने यहां रसोई बनाई और इस वनप्रदेश में भगवान श्रीराम की गृहस्थी बसी।

राज्य सरकार ने रामवनगमन पर्यटन परिपथ बनाने की पहल की, ताकि यहां आने वाले स्थानीय श्रद्धालुओं को भी जरूरी सुविधा मिल सके और देश-विदेश में बसे रामभक्त यहां तक पहुंचे। यहां राम और सीता से जुड़ी गुफाओं में 17 कक्ष हैं। इस स्थान को हरचौका कहा जाता है और सीता की रसोई के नाम से भी लोग इसे जानते हैं।

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राम के 14 वर्ष के वनवास काल का अधिकांश समय दण्डकारण्य में व्यतीत हुआ। वनवास काल में भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ जहां-जहां ठहरे, उनके चरण जहां पड़े, ऐसे 75 स्थानों को चिन्हांकित किया गया है। इनमें से प्रथम नौ स्थानों को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की शुरुआत छत्तीसगढ़ सरकार ने की है। राम वनगमन पर्यटन परिपथ परियोजना की शुरुआत मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के 'सीतामढ़ी हरचौका (Sitamarhi Harchauka)' से होती है। मवई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी हरचौका, दण्डकारण्य का प्रारंभिक स्थल है, जहां से वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम का आगमन छत्तीसगढ़ की धरती पर हुआ था। सीतामढ़ी-हरचौका के पुरातात्विक महत्व को संरक्षित करने के लिए इस परिपथ के प्रमुख स्थलों का पर्यटन तीर्थ के रूप में विकास किया जा रहा है।

सीतामढ़ी हरचौका में विशाल शिलाखंड स्थित है, जिसे लोग भगवान राम का पदचिन्ह मानते हैं। लोक आस्था और विश्वास के कारण लोग शिलाखंड की पूजा-अर्चना करते है। प्रभु राम के पदचिन्ह का पुरातात्विक महत्व होने के कारण इस पर शोध कार्य भी जारी है।

<div class="paragraphs"><p>सीतामढ़ी हरचौका में विशाल शिलाखंड</p></div>

सीतामढ़ी हरचौका में विशाल शिलाखंड

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सीतामढ़ी-हरचौका को लोक आस्था के केंद्र के रूप में विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। नदी के घाट का सौंदर्यकरण चल रहा है। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए आश्रम भी निर्माणाधीन है और खान-पान की व्यवस्था के लिए कैफेटेरिया भी बनाया जा रहा है। यहां से भगवान राम की 25 फीट ऊंची प्रतिमा भी नजर आएगी।

राजधानी रायपुर से मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ की दूरी लगभग 400 किलोमीटर है और सड़क मार्ग से सीधे हरचौका पहुंच सकते हैं। राजधानी रायपुर से यहां पहुंचने के लिए ट्रेन उपलब्ध है, जो बैकुंठपुर रोड स्टेशन तक जाती है। यहां से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर सीतामढ़ी-हरचौका स्थित है।

--आईएएनएस/PT

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