
दुनिया में धर्म (Religion) केवल पूजा-पाठ और रीति-रिवाज़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर समाज की संस्कृति, सोच और जीवनशैली को भी दर्शाता है। हम सब हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख जैसे बड़े धर्मों के बारे में जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में ऐसे कई छोटे मगर अनोखे धर्म भी हैं जो सीमित क्षेत्र में ही प्रचलित हैं ? इनकी मान्यताएं, देवी-देवता और परंपराएं इतनी विचित्र और दिलचस्प भी होती हैं कि जिसे पहली बार सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आइए, हम आपको आज दुनिया के रहस्यमयी और रोचक धर्मों से परिचित कराते हैं, जहाँ कहीं गांजा (Ganja) को आध्यात्मिक माना जाता है तो कहीं मोर (Peacock) को भगवान का दूत समझा जाता है।
ड्रुज धर्म: जन्म से मिलती है पहचान
सीरिया, लेबनान, जॉर्डन और इजरायल में फैले ड्रुज समुदाय की जड़ें 11वीं शताब्दी में इस्माइली शाखा से जुड़ी हैं। यह धर्म (Religion) अनोखा इसलिए भी है क्योंकि इसमें कोई नया व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता। इसका अनुयायी केवल जन्म से बना जा सकता है। ड्रुज धर्म (Religion) में पुनर्जन्म (Rebirth) पर विश्वास किया जाता है, और इसकी मान्यताएं यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म से मिलती-जुलती हैं। ड्रुज धर्म (Religion) रहस्यमयी इसलिए भी है क्योंकि इसके धार्मिक ग्रंथ और शिक्षाएं आम लोगों से छिपाकर रखी जाती हैं। पुरुष और महिला दोनों को समान आध्यात्मिक दर्जा दिया जाता है, लेकिन पूजा-पद्धति में सीमित लोग ही शामिल हो सकते हैं। हाल ही में जब इजरायल ने दमिश्क पर हमला किया, तब ड्रुज समुदाय की चर्चा एक बार फिर से ज़ोरों पर रही।
रास्ताफेरियनिज्म: जहाँ गांजा (Ganja) है आध्यात्म का रास्ता
1930 में जमैका में शुरू हुआ रास्ताफेरियनिज्म एक आधुनिक लेकिन अनोखा धर्म (Religion) है। इसके अनुयायी बाइबिल की कुछ शिक्षाओं को अफ्रीकी परंपराओं के साथ मिलाकर मानते हैं। वो खुद को इज़राइल की 12 कबीलों में से एक मानते हैं और यह विश्वास करते हैं कि एक दिन वो अपने ‘पवित्र देश’ इथियोपिया लौटेंगे। इस धर्म (Religion) के अनुयायी प्रकृति प्रेमी होते हैं, शाकाहारी होते हैं और अपने बालों को न तो काटते हैं, और न कंघी करते हैं। इनकी सबसे खास बात यह है कि ये लोग गांजा (Ganja) को एक पवित्र औषधि और ध्यान-योग का साधन मानते हैं। वो मानते हैं कि गांजा ईश्वर से जुड़ने में मदद करता है। हालांकि, इसकी खपत धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित रहती है। दुनिया भर में इसके अनुयायियों की संख्या 10 लाख से भी कम है, लेकिन इनका सांस्कृतिक प्रभाव बड़ा है।
टेंग्रिज्म : चंगेज खान का पवित्र धर्म
टेंग्रिज्म मध्य एशिया में फैला एक प्राचीन धर्म (Religion) है, जिसकी शुरुआत तुर्की और मंगोल जनजातियों से हुई थी। यह एकेश्वरवादी (एक ईश्वर को मानने वाला) धर्म है, जिसमें ‘तेंगरी’ नामक देवता को सर्वोच्च माना जाता है। तेंगरी का अर्थ होता है ‘आकाश’ और यही देवता ब्रह्मांड की सभी शक्तियों का स्रोत माने जाते हैं।
चंगेज खान भी इसी धर्म का अनुयायी था और उसने इसे अपने साम्राज्य का राजकीय धर्म बना दिया था। इस धर्म में आत्मा के भटकाव, बलिदान और पूर्वजों से जुड़ने की परंपराएं महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। आज की तारीख में इसकी मान्यता बहुत कम हो चुकी है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अब भी इसका पालन किया जाता है। दुनियाभर में इसके लगभग 5 लाख अनुयायी बचे हैं।
काओ दाई : जहाँ बुद्ध, ईसा और मोहम्मद एक साथ पूजे जाते हैं
काओ दाई धर्म (Religion) की शुरुआत 1926 में वियतनाम में हुई थी। यह एक समन्वित धर्म है, जो इस्लाम, ईसाई, बौद्ध, कन्फ्यूशियस और ताओ धर्म (Religion) की शिक्षाओं को मिलाकर बना है। इसके अनुयायी त्रिकोण में स्थित एक आंख को ‘ईश्वर की आंख’ के रूप में पूजते हैं, जो सर्वदृष्टा मानी जाती है। इस धर्म (Religion) के मानने वाले गौतम बुद्ध, ईसा मसीह, पैगंबर मोहम्मद, कन्फ्यूशियस और यहां तक कि फ्रांसीसी लेखक विक्टर ह्यूगो तक को भी पवित्र आत्मा मानते हैं। इसकी पूजा-पद्धति रोमन कैथोलिक चर्च जैसी होती है, जिसमें पोप, कार्डिनल और आर्चबिशप जैसे पद होते हैं। इस धर्म के अनुयायियों की संख्या लगभग 40 से 60 लाख के बीच है, और इसका मुख्यालय वियतनाम के तय निन्ह शहर में स्थित है।
अफ्रीकी वोदुन धर्म : आत्माओं से जुड़ने की रहस्यमयी परंपरा
वोदुन या वूडू धर्म (Religion) पश्चिम अफ्रीका का एक रहस्यमयी और प्राचीन धर्म (Religion) है, जिसकी शुरुआत 6,000 साल पहले मानी जाती है। यह धर्म आत्माओं, पूर्वजों और प्रकृति की शक्तियों में विश्वास करता है। इसका सबसे प्रमुख देवता ‘मावु’ है, जिसे ब्रह्मांड का नियंता माना जाता है। यह धर्म (Religion) खास इसलिए भी है क्योंकि इसे अक्सर काले जादू, टोना-टोटका और तंत्र-मंत्र से जोड़ा जाता है। इसके अनुयायी मूर्तियों और प्रतीकों को प्रसाद चढ़ाकर बीमारी, आपदा या आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। दुनियाभर में इस धर्म के लगभग 1 करोड़ अनुयायी हैं, जो मुख्य रूप से नाइजीरिया, घाना, टोगो और बेनिन में रहते हैं। हालांकि इसका पश्चिमी चित्रण अक्सर गलतफहमियों से भरा होता है, पर वास्तविकता में यह धर्म काफी गहरा और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है।
यज़ीदी धर्म : जब मोर बना ईश्वर का दूत
इराक के यजीदी समुदाय का धर्म (Religion) भी अत्यंत रहस्यमयी और दिलचस्प है। यह (Religion) धर्म इस्लाम से अलग है, लेकिन इसमें इस्लामी, हिंदू और पारसी धर्म (Religion) की कुछ मान्यताएं मिलती हैं। इसमें अग्निपूजा होती है और पुनर्जन्म की अवधारणा भी मौजूद है। यज़ीदी धर्म का सबसे खास पहलू है मोर (Peacock) पक्षी की पूजा। वो मानते हैं कि मोर ही ईश्वर का दूत है और दुनिया की रक्षा करता है। 2014 में जब इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने यजीदियों पर हमला किया, तो हजारों को मार डाला गया और कई को शरण के लिए सिंजर पर्वत की ओर भागना पड़ा। आज भी यज़ीदी समुदाय के लोगों की आबादी लगभग 7 लाख है और ये खासकर इराक में बसे हैं।
निष्कर्ष
दुनिया में जितने लोग, उतनी आस्थाएं और विश्वास है। इन अनोखे धर्मों से हमें यह सिखने को मिलता है कि आस्था का स्वरूप केवल मंदिर, मस्जिद या चर्च तक सीमित नहीं है। कहीं गांजा (Ganja) ध्यान का माध्यम है, तो कहीं मोर (Peacock) ईश्वर का प्रतिनिधि। कहीं एक आंख ईश्वर है, तो कहीं आत्मा की पुकार सुनने के लिए बलिदान किए जाते हैं। यह विविधता ही हमारी दुनिया को खूबसूरत बनाती है। ऐसे अनसुने धर्म हमें यह एहसास दिलाते हैं कि भले ही आस्था के रास्ते अलग हों, लेकिन सभी की मंज़िल आध्यात्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ाव ही है। [Rh/PS]