
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 1 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
दुर्गा पुराण (Durga Purana) में उल्लेखित है कि मां कूष्मांडा को 'अंड' (ब्रह्मांड) की उत्पत्ति करने वाली माना जाता है। विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कूष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे उनकी बुद्धि का विकास होता है।
देवी भागवत पुराण (Devi Bhagwat Purana) के अनुसार, माता रानी ने अपनी हल्की सी मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया था। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है। सृष्टि के आरंभ में अंधकार था, जिसे मां ने अपनी हंसी से दूर किया। उनमें सूर्य की गर्मी सहने की शक्ति है। इसी कारण उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
मां कूष्मांडा की पूजा करने से सभी कार्य पूरे होते हैं और जिन कार्यों में रुकावट आती है, वे भी बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं। मां की पूजा करने से भक्तों को सुख और सौभाग्य मिलता है।
इस दिन रॉयल ब्लू रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग शक्ति, समृद्धि, आत्मविश्वास और विचारों में गहराई का प्रतीक है।
माता की विधि-विधान (Law and Order) से पूजा करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, साफ वस्त्र पहनें और माता की चौकी को साफ करें। अब माता को पान, सुपारी, फूल, फल आदि अर्पित करें, साथ ही श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि शामिल हों।
इसके बाद उन्हें फल, मिठाई, या अन्य सात्विक भोग अर्पित करें। मां कूष्मांडा को मालपुआ प्रिय है, हो सके तो उन्हें भोग लगा सकते हैं। माता के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ या फिर दुर्गा चालीसा कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें और आचमन कर पूरे घर में आरती दिखाना न भूलें।
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