कब है वैकुंठ एकादशी ? तथा जाने क्या है महत्व?

भगवान विष्णु के भक्त यह भी मानते हैं कि वैकुंठ एकादशी मनाने और पवित्र दिन पर उपवास करने से व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और कृपा बनी रहती है।
Vaikuntha Ekadashi - यह एकादशी दक्षिण भारत के राज्यों में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाई जाती है। (Wikimedia Commons)
Vaikuntha Ekadashi - यह एकादशी दक्षिण भारत के राज्यों में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाई जाती है। (Wikimedia Commons)

Vaikuntha Ekadashi - हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सागर मंथन अर्थात् समुद्र मंथन वैकुंठ एकादशी के दिन किया गया था और यही कारण है कि यह एक पवित्र दिन है। सागर के मंथन के दौरान ही दिव्य अमृत निकला और देवताओं में वितरित किया गया। ऐसा माना जाता है कि वैकुंठ एकादशी इतनी शक्तिशाली है कि यह आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध कर देती है। भगवान विष्णु के भक्त यह भी मानते हैं कि वैकुंठ एकादशी मनाने और पवित्र दिन पर उपवास करने से व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और कृपा बनी रहती है।

वैकुंठ एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग पूरे दिन उपवास करते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। भक्त विष्णु के नाम का जप करते है और ध्यान में भाग लेते हैं। मान्यता के अनुसार उन्हें पूरी तरह से उपवास रखना चाहिए और विष्णु की प्रार्थना और चिंतन में भाग लेना चाहिए। उन्हें चावल लेने से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। भक्त उस दिन विष्णु के मंदिर में जाते हैं।

भगवान विष्णु के भक्त यह मानते हैं कि वैकुंठ एकादशी मनाने से व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और कृपा बनी रहती है। (Wikimedia Commons)
भगवान विष्णु के भक्त यह मानते हैं कि वैकुंठ एकादशी मनाने से व्यक्ति के जीवन में असीम शांति और कृपा बनी रहती है। (Wikimedia Commons)

कब हैं शुभ मुहूर्त?

इस साल वैकुंठ एकादशी व्रत 23 दिसंबर 2023 को रखा जाने वाला है ।

एकादशी तिथि प्रारंभ 22 दिसंबर, 2023 से 08:16 पूर्वाह्न तक।

एकादशी तिथि समाप्त 23 दिसंबर, 2023 से 07:11 पूर्वाह्न तक।

पारण का समय - 24 दिसंबर 2023 - प्रातः 06:18 बजे से प्रातः 06:24 बजे तक

द्वादशी समाप्ति क्षण - 24 दिसंबर, 2023 - 06:24 पूर्वाह्न

बड़ी संख्या में श्रद्धालु इक्कठे होते हैं और भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं। (Wikimedia Commons)
बड़ी संख्या में श्रद्धालु इक्कठे होते हैं और भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं। (Wikimedia Commons)

दक्षिण भारत का है एक प्रमुख त्योहार

यह एकादशी दक्षिण भारत के राज्यों में एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाई जाती है। वे इस दिन को विशेष रूप से तिरुमाला तिरुपति मंदिर में बहुत भव्यता के साथ मनाते हैं। इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इक्कठे होते हैं और भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस साल भक्तों को 23 दिसंबर को सुबह 1.45 बजे से शुभ वैकुंठ एकादशी पर तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शन की अनुमति दी जाएगी। शुभ दिन के सारे अनुष्ठानों के पूरा होने के तुरंत बाद, पहाड़ी मंदिर के गर्भगृह की परिक्रमा का मार्ग आम भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा।

ऐसा मान्यताएं है कि जो लोग इस एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु का असीम कृपा मिलता है और वे सीधे वैकुंठ धाम जाते हैं। वे इस जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।

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