कब है विजया एकादशी? भगवान राम ने भी रखा था ये व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

इस दिन व्रत रखने पर जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इस एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है।
Vijaya Ekadashi 2024:इस दिन व्रत रखने पर जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है (Wikimedia Commons)
Vijaya Ekadashi 2024:इस दिन व्रत रखने पर जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है (Wikimedia Commons)
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Vijaya Ekadashi 2024: हर माह में 2 एकादशी मनाई जाती हैं। इन्हीं एकादशी में से एक है विजया एकादशी। माना जाता है इस एकादशी का व्रत रखने पर अपने शत्रुओं पर विजय मिल जाती है। लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी समुद्र के तट पर अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था। जिसके आशीर्वाद से रावण का वध हुआ और भगवान राम को विजय प्राप्त हुई।

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने पर जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इस एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है। इस व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है।

लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी समुद्र के तट पर अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था। (Wikimedia Commons)
लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने भी समुद्र के तट पर अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था। (Wikimedia Commons)

विजया एकादशी की तिथि

इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 6 मार्च, बुधवार सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगी और इसका समापन 7 मार्च के दिन सुबह 4 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगा। लेकिन उदया तिथि के कारण विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च के दिन ही रखा जाएगा और इसी दिन श्रीहरि की पूजा की जाएगी। भगवान विष्णु की एकादशी के दिन पूरे दिन में कभी भी पूजा की जा सकती है।

एकादशी की पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भक्त भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेते हैं फिर सूर्यदेव को जल अर्घ्य दिया जाता है। मंदिर की सफाई करके एक चौकी पर लाल कपड़ा वस्त्र बिछाया जाता है। इस चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखी जाती है और श्रीहरि को फूल, धूप, दीप और फल आदि अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद विष्णु भगवान की आरती की जाती है, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप किया जाता है और भक्त विष्णु चालीसा का पाठ भी करते हैं। इसके बाद पंचामृत में तुलसी का पत्ता डालकर भोग स्वरूप भगवान विष्णु को लगाया जाता है। एकादशी की पूजा में तुलसी को सामग्री में सम्मिलित करना शुभ होता है लेकिन इस दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने के बजाए एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।

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