Vikram Samvat : अक्सर कैलेंडर में हमें विक्रम संवत् लिखा हुआ दिखाई देता है लेकिन ये क्या होता है और कैसे ज्ञात किया जाता है ये बहुत से कम लोगों को ही पता होता है दरहसल, हिंदुओं के नए वर्ष यानि नव संवत्सर की शुरुआत जिस दिन से होती है, उसे विक्रम संवत् कहा जाता है। अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से हम इसकी डेट बदलते हुए देखते हैं लेकिन हिंदू पंचांग के चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ये शुरू होता है। तो आज हम इसी बारे में जानेंगे कि आखिर ये होता क्या है?
हिंदू नववर्ष के पहले दिन को विक्रम संवत की शुरुआत हुई थी। इसे आज भी भारत के अलग-अलग राज्यों में गुड़ी पाड़वा, उगादि जैसे नामों से मनाया जाता है। इसकी शुरुआत राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने की थी और ये अंग्रेज़ी कैलेंडर से 57 साल आगे है। इसे गणित के नज़रिये से सटीक काल गणना माना जाता है और ज्योतिषी भी इसे ही मानते हैं। इसकी समयावधि की बात करें तो यह 354 दिन की होती है और बचे हुए 10 दिन को अधिक मास या चंद्रमास के रूप में माना जाता है। इसे चंद्र की कला के प्रथम दिन से शुरू माना जाता है।
राजा विक्रमादित्य बहुत ही न्यायप्रिय और अपनी प्रजा का हित चाहने वाले राजा थे। उन्होंने शकों के अत्याचार से कई राज्यों को मुक्त कराया था और अपना शासन स्थापित किया था। इसी विजय की स्मृति के रूप में राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत पंचांग का निर्माण करवाया था।
हिंदू मान्यता के अनुसार विक्रम संवत् की शुरुआत की तिथि को ही मानते हैं कि भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी। भारतीय संस्कृति के कई महत्वपूर्ण कार्य हिंदू नववर्ष की शुरुआत के दिन से हुए। इसी दिन से चैत्र मास में देवी आराधना के 9 दिन शुरू हो जाते हैं और नवमी के दिन भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भले ही कामकाज के लिए अंग्रेज़ी कैलेंडर को मान्यता दी जाती है लेकिन आज भी त्योहार, उपवास और महत्वपूर्ण कार्य के लिए हिंदू इसी कैलेंडर से मुहूर्त देखते हैं।